what is the difference between karm vachya and bhav vachya ??
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कर्म वाच्य--
जहां प्रधान हो कर्म वहां ही कर्म वाच्य होता है।
कर्म के अनुसार क्रिया, वाक्य ,लिंग आदि होते हैं कर्म वाच्य में।
जैसे-- प्रिया द्वारा पुस्तक लिखी जाती है।
भाव वाच्य---
भाव जिन वाक्यों में प्रधान होता है वहां ही भाव वाच्य होता है।
क्रिया की प्रधानता यहां होती ही है।
जहां प्रधान हो कर्म वहां ही कर्म वाच्य होता है।
कर्म के अनुसार क्रिया, वाक्य ,लिंग आदि होते हैं कर्म वाच्य में।
जैसे-- प्रिया द्वारा पुस्तक लिखी जाती है।
भाव वाच्य---
भाव जिन वाक्यों में प्रधान होता है वहां ही भाव वाच्य होता है।
क्रिया की प्रधानता यहां होती ही है।
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नमस्कार।
कर्म वाच्य एवं भाव वाच्य में अंतर कुछ इस प्रकार है :-
कर्म वाच्य :- कर्म वाच्य का मुख्य बिंदू कर्म होता है, इसमें लिंग, वचन कर्ता के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार होते है।
जैसे :- मोहिनी के द्यारा छै बनाई गई।
भाव वाच्य :- भाव वाच्य में भावो की प्रधानता होती है, इसमें बजावो की प्रधानता होने के कारण अकर्मक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:- मुझसे चला नही जाता।
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