Hindi, asked by Anonymous, 6 months ago

What is the meaning of 'सत्संगति' in English? Also, write an essay on the topic 'सत्संगी और विद्यार्थी'.

Answers

Answered by unnati2009
4

Explanation:

सत्संगति का अर्थ है - to live with people who are good in nature and religious minded.

मनुष्य पर जितना प्रभाव उसकी संगती का पड़ता है उतना किसी और बात का नहीं पड़ता. इसलिए भारतीय परंपरा में बचपन से सत्संगति पर बहुत जोर दिया गया है. सही मायनों में देखा जाए तो सत्संगति से संस्कार प्रबल होते हैं और बुरी संगती से चरित्र में दोष उत्पन्न होते हैं.सत्संगति शब्द “सत्’ अर्थात उत्तम और “संगति” अर्थात साहचर्य (साथ) से मिलकर बना है. यानि उत्तम व्यवहार एवं अच्छे चरित्र वाले लोगों के साथ रहना ही सत्संगति करना है.सत्संग से सदाचार, धर्मभावना, कर्त्तव्यनिष्ठा और सदभावना आदि गुणों का उदय होता है । सत्संग से आत्मा पुष्ट और पवित्र होती है । सत्संग करने वाला व्यक्ति मन, वचन और कर्म से एक जैसा व्यवहार करता है । उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता । सत्संग की महिमा सभी संतों ने गाई है । मन की स्व्छता बिना सत्संग के नहीं आ सकती।कुसंगति का मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । कुसंगति से सदा हानि ही होती है । मनुष्य कितना ही सतर्क और सावधान रहे कुसंगति काजल कि कोठरी के समान है । सत्संग के अनेक साधन हैं । सभी धर्मों की पुस्तकें सत्संग पर बल देती हैं । सत्संग ही कल्याण मार्ग है । अतः सभी को सत्संग मार्ग पर चलना चाहिए ।

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Answered by shahsukritii2007
1

Answer:

सत्संगति का अर्थ है - to live with people who are good in nature and religious minded.

मनुष्य पर जितना प्रभाव उसकी संगती का पड़ता है उतना किसी और बात का नहीं पड़ता. इसलिए भारतीय परंपरा में बचपन से सत्संगति पर बहुत जोर दिया गया है. सही मायनों में देखा जाए तो सत्संगति से संस्कार प्रबल होते हैं और बुरी संगती से चरित्र में दोष उत्पन्न होते हैं.सत्संगति शब्द “सत्’ अर्थात उत्तम और “संगति” अर्थात साहचर्य (साथ) से मिलकर बना है. यानि उत्तम व्यवहार एवं अच्छे चरित्र वाले लोगों के साथ रहना ही सत्संगति करना है.सत्संग से सदाचार, धर्मभावना, कर्त्तव्यनिष्ठा और सदभावना आदि गुणों का उदय होता है । सत्संग से आत्मा पुष्ट और पवित्र होती है । सत्संग करने वाला व्यक्ति मन, वचन और कर्म से एक जैसा व्यवहार करता है । उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता । सत्संग की महिमा सभी संतों ने गाई है । मन की स्व्छता बिना सत्संग के नहीं आ सकती।कुसंगति का मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । कुसंगति से सदा हानि ही होती है । मनुष्य कितना ही सतर्क और सावधान रहे कुसंगति काजल कि कोठरी के समान है । सत्संग के अनेक साधन हैं । सभी धर्मों की पुस्तकें सत्संग पर बल देती हैं । सत्संग ही कल्याण मार्ग है । अतः सभी को सत्संग मार्ग पर चलना चाहिए ।

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