Hindi, asked by branasingh03, 9 months ago

What is the meaning of the poem vinay by sumitranandan pant in hindi

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Answered by Anonymous
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Answer:

अरे! ये पल्लव-बाल!

सजा सुमनों के सौरभ-हार

गूँथते वे उपहार;

अभी तो हैं ये नवल-प्रवाल,

नहीं छूटो तरु-डाल;

विश्व पर विस्मित-चितवन डाल,

हिलाते अधर-प्रवाल!

न पत्रों का मर्मरु संगीत,

न पुरुषों का रस, राग, पराग;

एक अस्फुट, अस्पष्ट, अगीत,

सुप्ति की ये स्वप्निल मुसकान;

सरल शिशुओं के शुचि अनुराग,

वन्य विहगों के गान !

हृदय के प्रणय कुंज में लीन

मूक कोकिल का मादक गान,

बहा जब तन मन बंधन हीन

मधुरता से अपनी अनजान;

खिल उठी रोओं सी तत्काल

पल्लवों की यह पुलकित डाल !

प्रथम मधु के फूलों का बाण

दुरा उर में, कर मृदु आघात,

रुधिर से फूट पड़ी रुचिमान

पल्लवों की यह सजल प्रभात;

शिराओं में उर की अज्ञात

नव्य जग जीवन कर गतिवान !

दिवस का इनमें रजत-प्रसार

उषा का स्वर्ण-सुहाग;

निशा का तुहिन-अश्रु-श्रृंगार,

साँझ का निःस्वन राग;

नवोढ़ा की लज्जा सुकुमार,

तरुणतम-सुन्दरता की आग!

कल्पना के ये विह्वल बाल,

आँख के अश्रु, हृदय के हास;

वेदना के प्रदीप की ज्वाल,

प्रणय के ये मधुमास;

सुछवि के छाया वन की साँस

भर गई इनमें हाव, हुलास !

आज पल्लवित हुई है डाल,

झुकेगा कल गुंजित-मधुमास !

मुग्ध होंगे मधु से मधु-बाल,

सुरभि से अस्थिर मरुताकाश !

Answered by gur55555555
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⤴⤴Your Answer ⤴⤴

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