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रामधारी सिंह दिनकर साहित्य के वह सशक्त हस्ताक्षर हैं जिनकी कलम में दिनकर यानी सूर्य के समान चमक थी। उनकी कविताएं सिर्फ़ उनके समय का सूरज नहीं हैं बल्कि उसकी रौशनी से पीढ़ियां प्रकाशमान होती हैं। पढ़ें उनकी लिखी कविताओं में से चुनिंदा 5 प्रसिद्ध कविताएं
सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली
जब अँग-अँग में लगे साँप हो चूस रहे
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली
जनता ? हाँ, लम्बी-बडी जीभ की वही कसम
"जनता,सचमुच ही, बडी वेदना सहती है।"
"सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?"
'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?"
मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में
अथवा कोई दूधमुँही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में
लेकिन होता भूडोल, बवण्डर उठते हैं
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है
जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है
अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अन्धकार
बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं
यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय
चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते जाते हैं
सब से विराट जनतन्त्र जगत का आ पहुँचा
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो
आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख
मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में
फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं
धूसरता सोने से शृँगार सजाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
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कलम, आज उनकी जय बोल
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल
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ur second I'd yahe hai kya???
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