what is the role of carbohydrates in metabolism in hind
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कार्बोहाइड्रेट चयापचय एक मूलभूत जैव रासायनिक प्रक्रिया है जो जीवित कोशिकाओं को ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती है। सबसे महत्वपूर्ण कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज है, जिसे ग्लाइकोल के माध्यम से तोड़ा जा सकता है
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कार्बोहाइड्रेट्स जीवों के लिए रासायनिक उर्जा का प्रमुख स्रोत होते हैं\ भोजन में ये जटिल मंड (complex starch) व सरल शर्कराओं (simple starch) के रूप में होते हैं। शरीर में कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म में ग्लूकोज की ही प्रमुख मात्र होती है। कार्बोहाइड्रेट-प्रधान भोजन के बाद रुधिर में शर्करा की मात्रा औसतन 0.1% से बढ़कर 0.12-0.14% प्रति 100 मिली. हो जाती है। यकृत कोशाएं (Liver Cells) शरीर की तत्कालीन आवश्यकता से अधिक शर्कराओं को रक्त से हटाकर, रुधिर में इनकी मात्रा का नियमन (regulation) भी करती है। शरीर-कोशाओं में कार्बोहाइड्रेट उपापचय के निम्नलिखित पहलु होते हैं-
ग्लाइकोजेनेसिस Glycogenesis- रक्त से ग्रहण करके शरीर कोशाओं उर्जा के लिए ग्लूकोज का जारण करती है, परन्तु कुछ फालतू ग्लूकोज को ये ग्लाइकोजेन (Glycogen) में बदलकर संचित भी करती हैं। अग्न्याशय (Pancreas) के लैंगरहैंस की द्विपिकाएं (Islets of Langerhans) से स्रावित इन्सुलिन ही रक्त के ग्लूकोज को ग्लाइकोजेन में परिवर्तित करती हैं। ग्लाइकोजेन का संचय (storage) सबसे अधिक जिगर (Liver) तथा पेशी कोशिकाओं में होता है। ग्लाइकोजेन को जंतु मंड (Animal Starch) कहते हैं। ग्लूकोज से ग्लाइकोजेन के संश्लेषण (synthesis) को ही ग्लाइकोजेनेसिस कहते हैं।
ग्लाइकोजीनोलाइसिस Glycogenolysis- जंतु-मंड संचित ईंधन (Reserve Fuel) का काम करती है। शरीर कोशाएं रक्त से आवश्यकतानुसार ग्लूकोज लेती रहती हैं तथा रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम होने पर ग्लाइकोजेन फिर से ग्लूकोज में बदलता जाता है। यह परिवर्तन लैंगरहैस की द्विपिकाओं से स्रावित ग्लूकागॉन हॉर्मोन करता है। इस प्रकार शरीर कोशाओं को रक्त जितनी ग्लूकोज देता रहता है उतनी उसे यकृत से मिलती रहती है। अतः रक्त में ग्लूकोज की एक नियत मात्रा 82 से 110 mg/dL बनी रहती है। पेशियों में संचित ग्लाइकोजेन केवल इन्ही से आती है। ग्लाइकोजेन को ग्लूकोज मे तोड़ने की प्रक्रिया ग्लाइकोजीनोलाइसिस कहते हैं।
ग्लाइकोलाइसिस एवं क्रैब्स चक्र Glycolysis and Krebs cycle- ग्लाइकोलाइसिस सभी कोशाओं में ग्लूकोज के जारण (Combustion) की प्रारंभिक अवस्था होती है। इसमें रासायनिक प्रतिक्रियाओं के 10 चरणों (10 steps) की एक श्रृंखला के फलस्वरूप ग्लूकोज के प्रत्येक अणु का 2 पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) के अणुओं में विखंडन होता है और इससे मुक्त हुई उर्जा ए.टी.पी (ATP) के डो अणुओं में आबाद होती है।
क्रैब्स चक्र में रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक 9-10 चरणों की चक्रीय (cycle) श्रृंखला द्वारा ग्लाइकोलाइसिस के फलस्वरूप बने पाइरुविक अम्ल के प्रत्येक अणु को, आणविक ऑक्सीजन की सहायता से कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में तोड़ा जाता है। अतः यह प्रक्रिया केवल वायु (Aerobic) श्वसन (Respiration) में होती है। यह श्रृंखला माइटोकाण्ड्रिया में ही होती है। इसके फलस्वरूप कोशिका को ग्लोकोज के एक अणु से कुल मिलाकर एटीपी (ATP) के 36 अणुओं का लाभ होता है। कोशाएँ कुछ ग्लूकोज सेग्लाइकोजेन के अतिरिक्त अन्य ऐसे कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करती हैं, जो इनके कुछ भागों के निर्माण एवं मरम्मत के लिए आवश्यक होते हैं। कुछ ग्लूकोज को 5 कार्बन युक्त शर्कराओं राइबोज में बदलकर न्युक्लियोटाइड अणुओं का संश्लेषण किया जाता है। शरीर में ग्लूकोज इन सब आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद भी बची रहती है, तो इसे वसा (Fat) में बदलकर (Lipogenesis) संचित रखा जाता है। इसका वसा में रूपांतरण शरीर की सभी कोशिकाएं कर सकती हैं, लेकिन यह मुख्यतः यकृत (Liver) कोशाएं कर सकती हैं। इस वसा का संचय विशेष वसा उतकों (adipose tissues) में होता है।
ग्लुकोनियोजेनेसिस Gluconeogenesis शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स की अधिक कमी हो जाने पर वसाओं, प्रोटीन आदि पदार्थों से कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण भी होता है। इसे ग्लुकोनियोजेनेसिस कहते हैं। इसका नियंत्रण मुख्यतः एड्रीनल कार्टेक्स के हॉर्मोन- कोर्टिसोल (Cortisol) तथा कार्टीकोस्टिरोन (corticosterone) कहते हैं। यह प्रक्रिया भी मुख्यतः यकृत में, लेकिन कुछ वृक्कों में होती है