What is the summary of Bal Mahabharat Katha?
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hey mate here is ur answer
are u in class 7 mate I think so
so the story start with a Punch line
and
नदी के किनारे गंगा एक सुंदर युवती के रूप में खड़ी थीं तभी राजा शांतनु वहाँ से गुजरे और वे गंगा पर मोहित हो गए। उन्होंने युवती के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा। गंगा राजा शांतनु से विवाह करने को तैयार हो गयीं परन्तु उन्होंने राजा शांतनु के सामने शर्तें रखीं जिसे शांतनु ने स्वीकार कर लिया।
समय के साथ गंगा के कई तेजस्वी पुत्र हुए परन्तु गंगा ने उन्हें जीने नहीं दिया। गंगा पुत्र के जन्म लेते ही उसे नदी के बहती धारा में फेंक देती थी। चूँकि राजा शांतनु वचन दे चुके थे इसलिए वे कुछ नहीं कर पाते थे। जब आठवें बच्चे ने जन्म लिया तब राजा शांतनु से रहा नहीं गया, और उन्होंने गंगा को रोक दिया। इसपर गंगा ने राजा को उनके वचन की याद दिलाई और शर्तों के गंगा अब राजा के घर नहीं रुक सकतीं थीं। साथ ही गंगा ने यह कहा कि वो उनके आठवें पुत्र को नदी में नहीं फेकेंगी, वह पुत्र को कुछ पालेंगीं और फिर राजा शांतनु को सौंप देंगी।
गंगा के चले जाने के बाद राजा शांतनु राज-काज में मन लगाने लगे।
एक दिन राजा शिकार खेलते हुए गंगा के तट पर चले गए। वहाँ उन्होंने एक सुंदर और गठीले युवक को नदी की बहती हुई धारा पर बाण चलाते देखा बाणों की बौछार से बहती धारा रुकी हुई थी जिसे देख राजा भी हतप्रभ रह गए। तभी वहाँ गंगा उनके सामने आयीं और बताया कि यही राजा और उनका आठवाँ पुत्र देवव्रत है जिसे महर्षि वसिष्ठ ने शिक्षा दी है। राजा शांतनु देवव्रत को लेकर वहाँ से चल दिए। देवव्रत ही बाद में भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्द हुए
hope it help u
happy new year
happy winter
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नदी के किनारे गंगा एक सुंदर युवती के रूप में खड़ी थीं तभी राजा शांतनु वहाँ से गुजरे और वे गंगा पर मोहित हो गए। उन्होंने युवती के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा। गंगा राजा शांतनु से विवाह करने को तैयार हो गयीं परन्तु उन्होंने राजा शांतनु के सामने शर्तें रखीं जिसे शांतनु ने स्वीकार कर लिया।
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गंगा के चले जाने के बाद राजा शांतनु राज-काज में मन लगाने लगे।
एक दिन राजा शिकार खेलते हुए गंगा के तट पर चले गए। वहाँ उन्होंने एक सुंदर और गठीले युवक को नदी की बहती हुई धारा पर बाण चलाते देखा बाणों की बौछार से बहती धारा रुकी हुई थी जिसे देख राजा भी हतप्रभ रह गए। तभी वहाँ गंगा उनके सामने आयीं और बताया कि यही राजा और उनका आठवाँ पुत्र देवव्रत है जिसे महर्षि वसिष्ठ ने शिक्षा दी है। राजा शांतनु देवव्रत को लेकर वहाँ से चल दिए। देवव्रत ही बाद में भीष्म पितामह के नाम से प्रसिद्द हुए
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