What is the summary of naye ilake main and khushboo rachte hain haath?
Answers
“नये इलाके में...” और “खुश्बू रचते हैं हाथ” ये कवितायें ‘अरुण कमल’ द्वारा रचित कवितायें है। दोनों कविताओं के सार (Summary) इस प्रकार हैं...
(1) नये इलाके में...
इस कविता में कवि जीवने के अस्थायित्व के बारे में बताता है। वो कहता है कि इस जीवन में कुछ भी स्थायी नही है। स्थितियां पल पल बनती बिगड़ती ही रहती हैं। दुनिया में निरंतर परिवर्तन होता रहता है इस कारण इस निरंतर परिवर्तनशील दुनिया में पुरानी यादों के भरोसे नहीं रहा जा सकता है। कवि कहता है कि नए-नए बसते इलाकों और रोज नए-नए बनते मकानों के कारण वह रोज अपने घर का रास्ता भूल जाता है। वह अपने घर के रास्ते में पड़ने वाले निशानों को देखकर अपने घर की ओर बढ़ने की कोशिश करता है तो वह देखता है कि वह निशान ही गायब है और वह अपने घर को भूल कर किसी अन्य घर में चला जाता है। इससे उसे लगता है कि यादों का कोई भरोसा नहीं वह दिन में ही धुंधली पड़ जाती हैं। इन यादों के सहारे जीवन में आगे नहीं बढ़ा जा सकता। कवि कहता है कि बस अब एक ही उपाय बचता है कि हर घर का दरवाजा खटखटा कर पूछे कि क्या यही उसका घर है? लेकिन इस स्थिति में भी उसके पास समय कम है क्योंकि क्या समय इतना परिवर्तनशील है कि क्या पता तब तक फिर कोई परिवर्तन हो जाए। कवि के मन में एक आशा जगती है कि शायद उसका कोई अपना उसे भूला भटका देखकर आवाज दे दे। इस प्रकार इस कविता में कवि का आशय जीवन की स्थिरता को इंगित करना है।
(2) खुश्बू रचे हाथ...
इस कविता में कवि ने समाज की विसंगतियों और असमानताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। कवि छोटा-मोटा काम करने वाले उन समाज के उपेक्षित वर्ग के बारे में बताता है जो दूसरों के जीवन में तो खुश्बू बिखेरतै हैं लेकिन उनके जीवन में कोई खुश्बू नही है। कवि यहां पर कारखानों में अगरबत्ती बनाने वाले लोगों की जिंदगी का चित्रण करते उदाहरण देते हुए कहता है कि खुशबूदार अगरबतियां बनाने वाले लोग जो दूसरों के घर में सुगंध बिखरते हैं लेकिन उनके घर में बदबू है यहां कवि का तात्पर्य है कि उनकी बनाई अगरबत्तियों से लोगों के घर में तो सुगंध बिखरती है परंतु जो लोग ये अगरबत्तियां बनाते हैं वह बेहद दयनीय स्थिति में काम करते हैं। वह बदबूदार जगहों, कूड़ा-करकट से युक्त जगहों, नालियों आदि के निकट आदि जैसी जगह पर काम करते हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। उनके अपने जीवन में सुगंध नहीं है। यहां कवि ने कई तरह के हाथों का जिक्र किया है जो कि हर उम्र को इंगित करते हैं यह हाथ बनाते तो खूबसूरत अगर बत्तियां हैं लेकिन इनके जीवन में सुगंध नहीं है।
Ans.नए इलाके में………………… खुशबू रचते हैं हाथ कविता अरुण कमल जी द्वारा रचित है
भाग-1- नए इलाके में –कविता का सारांश
सारांश- इस कविता में कभी एक ऐसी दुनिया में प्रवेश का आमंत्रण देता है जो 1 दिन में पुरानी पड़ जाती है जो इस बात का बोध हमें कराती है कि जीवन में कोई भी चीज स्थाई नहीं होता यह पल पल बिगड़ती और बनती है वह नए बसते इलाकों तथा नए-नए बनते मकानों के कारण रोज अपने घर का रास्ता भूल जाता है वह अपने घर तक पहुंचने वाले रास्ते में पड़ने वाले निशानों को याद रखते हुए आगे बढ़ता है लेकिन वह निशान उसे नहीं मिलते हैं वह हर बार एक या दो घर आगे चल जाता है इसलिए वह कहता है कि यह स्मृतियों का कोई भरोसा नहीं यह दुनिया एक दिन में ही पुरानी पड़ जाती है उसे घर ढूंढने मैं इतनी कठिनाई होती है वह सोचता है कि कोई अपने छत से कहे यह उसका घर है पर इतना कहने में भी समय लग जाएगा जिससे कोई न कोई परिवर्तन हो जाएगा अतः कभी यह कहना चाहता है इस दुनिया में पल-पल सब कुछ बदलता रहता है
भाग-2- खुशबू रचते हैं हाथ- कविता का सारांश
सारांश- इस कविता के माध्यम से कवि ने समाज के उपेक्षित वर्गों की ओर हमारा ध्यान खींचने का प्रयास किया है जो अगरबत्ती बनाने वाले लोग हैं जो हमारी जिंदगी को खुशबू की तरह खुशबूदार बनाकर खुद गंदगी में अपना जीवन बसर कर रहे हैं वह नालियों के बीच कूड़े करकट के ढेरों में रहकर अगरबत्ती बनाकर हमें हमारे जीवन में खुशबू देते हैं अगरबत्ती अपने हाथों से बनाते हैं जो गंदी नालो कूड़ा करकट के ढेरों में रह कर काम करते हैं कवि ने कई प्रकारों की हाथों की चर्चा की है जिसमें अगरबत्ती बनाने वाले की उम्र दिखाया है जो हाथ जीवन में सुगंध बिखेरते हैं हैं वही हाथ भयावह स्थिति को अपने जीवन में बिताने के लिए मजबूर हैं खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वाले यह हाथ दूरदराज के सबसे गंदे और बदबूदार इलाकों में अपने जीवन गुजर बसर कर रहे हैं