What message do we get from the poem "भगवान के डाकिए" in hindi
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पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बांचते हैं।
पक्षी और बादल की तुलना कवि ने भगवान के डाकिये से की है। चिड़ियों और बादलों की दुनिया की कोई सीमा नहीं होती है और वे एक महादेश से दूसरे महादेश में आसानी से आते जाते हैं। उनके द्वारा लाई चिट्ठियों में क्या लिखा होता है यह समझना मनुष्य के वश की बात नहीं है। लेकिन पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उनकी चिट्ठियों को पढ़ पाते हैं। तभी तो बादल आने की खुशी में पेड़ झूमने लगते हैं और चिड़ियों के आने पर उनकी पूरी मेहमाननवाजी करते हैं।
हम तो केवल यह आंकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
हमारी समझ में एक बात अवश्य आती है और वो ये कि एक देश की धरती अपनी सुहानी खुशबू दूसरे देश को भेजती है। वह खुशबू चिड़ियों के पंखों पर सवार होकर ही जाती है। बादल अपने साथ दूर देश का पानी लाते हैं। इस तरह से एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है। इन पंक्तियों में कवि ने बहुत ही गूढ़ बात कही है। पानी हमारी मूलभूत जरूरतों में से एक है। पानी के लिए दो राज्यों या देशों में अक्सर बड़े विवाद उठ खड़े होते हैं। अगर बादल द्वारा लाये गये संदेश को हम सही तरीके से समझें तो हम मानवता के आपसी झगड़े को कम कर सकते हैं।
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बांचते हैं।
पक्षी और बादल की तुलना कवि ने भगवान के डाकिये से की है। चिड़ियों और बादलों की दुनिया की कोई सीमा नहीं होती है और वे एक महादेश से दूसरे महादेश में आसानी से आते जाते हैं। उनके द्वारा लाई चिट्ठियों में क्या लिखा होता है यह समझना मनुष्य के वश की बात नहीं है। लेकिन पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ उनकी चिट्ठियों को पढ़ पाते हैं। तभी तो बादल आने की खुशी में पेड़ झूमने लगते हैं और चिड़ियों के आने पर उनकी पूरी मेहमाननवाजी करते हैं।
हम तो केवल यह आंकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
हमारी समझ में एक बात अवश्य आती है और वो ये कि एक देश की धरती अपनी सुहानी खुशबू दूसरे देश को भेजती है। वह खुशबू चिड़ियों के पंखों पर सवार होकर ही जाती है। बादल अपने साथ दूर देश का पानी लाते हैं। इस तरह से एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरसता है। इन पंक्तियों में कवि ने बहुत ही गूढ़ बात कही है। पानी हमारी मूलभूत जरूरतों में से एक है। पानी के लिए दो राज्यों या देशों में अक्सर बड़े विवाद उठ खड़े होते हैं। अगर बादल द्वारा लाये गये संदेश को हम सही तरीके से समझें तो हम मानवता के आपसी झगड़े को कम कर सकते हैं।
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drrajeevvij:
Thanks piyush
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