What moral do we get from the poem GRAMSHREE in Hindi for class 9.
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सुमित्रानंदन पन्त का जीवन परिचय- Sumitranandan Pant Ka Jeevan Parichay: सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवियों में से एक है। इनका जन्म उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले में कौसानी गांव में सन 1900 में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई। 1918 में वे अपने मँझले भाई के साथ काशी आ गए और क्वींस कॉलेज में पढ़ने लगे। वहाँ से माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण कर, वे इलाहाबाद चले गए। 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी द्वारा भारतीयों से अंग्रेजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, न्यायालयों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार करने के आह्वान पर, उन्होंने महाविद्यालय छोड़ दिया और घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी भाषा-साहित्य का अध्ययन करने लगे। उनकी मृत्यु 28 दिसम्बर 1977 को हुई।
सात वर्ष की उम्र में, जब वे चौथी कक्षा में ही पढ़ रहे थे, उन्होंने कविता लिखना शुरु कर दिया था। 1926-27 में उनका प्रसिद्ध काव्य-संकलन ‘पल्लव’ प्रकाशित हुआ। सुमित्रानंदन पंत की कुछ अन्य काव्य-कृतियाँ हैं – ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि।
हिंदी साहित्य सेवा के लिए उन्हें पद्मभूषण(1961), ज्ञानपीठ(1968), साहित्य अकादमी, तथा सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे उच्च श्रेणी के सम्मानों से अलंकृत किया गया। जहां उनकी प्रारंभिक कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के रमणीय चित्र मिलते हैं, वहीं दूसरे चरण की कविताओं में छायावाद की सूक्ष्म कल्पनाएं व कोमल भावनाएं देखने को मिलती हैं।
उनके अंतिम चरण की कविताओं में प्रगतिवाद और विचारशीलता के भावों की अभिव्यक्ति के लिए सटीक शब्दों के चयन के कारण उन्हें शब्द-शिल्पी कवि भी कहा जाता है।
Gram Shree Class 9 Explanation – ग्राम श्री कविता का सार : ग्राम श्री कविता में कवि ने गांव के प्राकृतिक सौंदर्य का बड़ा ही मनोहर वर्णन किया है। हरे-भरे खेत, बगीचे, गंगा का तट, सभी कवि की इस रचना में जीवित हो उठे हैं। अगर आपने अपने जीवन-काल में कभी भी गांव की सुषमा और समृद्धि का दृश्य नहीं देखा है, तब भी आप इस कविता को पढ़ कर ये कल्पना कर सकते हैं कि वह कैसा प्रतीत होता होगा। खेतों में उगी फसल आपको ऐसी लगेगी, मानो दूर-दूर तक हरे रंग की चादर बिछी हुई हो। उस पर ओस की बूँदें गिरने के बाद जब सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो वह चाँदी की तरह चमकती है। नए उगते हुए गेहूँ, जौ, सरसों, मटर इत्यादि को देख कर ऐसा प्रतीत होता है, मानो प्रकृति ने श्रृंगार किया है। आम के फूल, जामुन के फूल की सुगंध पूरे गांव को महका रही है। गंगा के किनारे का दृश्य भी इतना ही मनमोहक है। जल-थल में रहने वाले जीव अपने-अपने कार्य में लगे हुए हैं। जैसे कि बगुला नदी के किनारे मछलियाँ पकड़ते हुए खुद को सँवार रहा है। इस तरह कवि अपनी इस कविता के माध्यम से हमें गांव के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में बता रहे हैं।