Hindi, asked by antara44, 7 months ago

what's the process of samas vigrah ? ​

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Answered by 9565Ranaji
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hey mate!!!!!

समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षिप्ति अर्थात छोटा रूप।

दूसरे शब्दों में कहें तो समास संक्षेप करने की प्रक्रिया है

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Answered by assisinghpal
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Answer:

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Explanation:

समास (Samas in Hindi)

अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Samas in Hindi)

समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षिप्ति अर्थात छोटा रूप।

दूसरे शब्दों में कहें तो समास संक्षेप करने की प्रक्रिया है

दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों या प्रत्ययों के नष्ट होने पर उन शब्दों के मेल से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है, उस शब्द को सामासिक शब्द कहते हैं और उन दो या दो से अधिक शब्दों का संयोग समास कहलाता है

जैसे: ज्ञानसागर मतलब ज्ञान का सागर

इस उदाहरण में दो शब्दों ज्ञान और सागर का सम्बन्ध बताने वाले संबंधकारक के “का” प्रत्यय के नष्ट होने पर एक नया शब्द बना है ज्ञानसागर

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जहाँ पर कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जाए, वहाँ समास होता है।

संस्कृत, जर्मन तथा बहुत सी भारतीय भाषाओँ में समास का बहुत प्रयोग किया जाता है। समास रचना में दो पद होते हैं, पहले पद को ‘पूर्वपद’ कहा जाता है और दूसरे पद को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है।

जैसे :-

रसोई के लिए घर = रसोईघर

हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी

नील और कमल = नीलकमल

राजा का पुत्र = राजपुत्र

Samas Samas Vigrah

सामासिक शब्द क्या होता है?

समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहा जाता है। समास होने के बाद विभक्तियों के चिन्ह गायब हो जाते हैं।

जैसे :- राजपुत्र

समास विग्रह (Samas vigrah)

सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को समास – विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द गायब हो जाते हैं अथार्त जब समस्त पद के सभी पद अलग – अलग किय जाते हैं उसे समास-विग्रह कहते हैं।

जैसे :- माता-पिता = माता और पिता

समास और संधि में अंतर (Difference between Samas and Sandhi)

संधि का शाब्दिक अर्थ होता है मेल। संधि में उच्चारण के नियमों का विशेष महत्व होता है। इसमें दो वर्ण होते हैं इसमें कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों वर्णों में परिवर्तन हो जाता है और कहीं पर तीसरा वर्ण भी आ जाता है। संधि किये हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया विच्छेद कहलाती है। संधि में जिन शब्दों का योग होता है उनका मूल अर्थ नहीं बदलता जबकि समास में कभी-कभी पूरा अर्थ ही बदल जाता है

जैसे: पुस्तक+आलय = पुस्तकालय (संधि का उदाहरण)

समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षेप। समास में वर्णों के स्थान पर पद का महत्व होता है। इसमें दो या दो से अधिक पद मिलकर एक समस्त पद बनाते हैं और इनके बीच से विभक्तियों का लोप हो जाता है। समस्त पदों को तोडने की प्रक्रिया को विग्रह कहा जाता है। समास में बने हुए शब्दों के मूल अर्थ को परिवर्तित किया भी जा सकता है और परिवर्तित नहीं भी किया जा सकता है।

जैसे: विषधर = विष को धारण करने वाला अथार्त भगवान शिव

उपमान और उपमेय

उपमेय: जिस वस्तु की समानता किसी दूसरे वस्तु से दिखलाई जाये वह उपमेय होता है. जैसे: कर कमल सा कोमल है। इस उदाहरण में कर उपमेय है ।

उपमान: उपमेय को जिसके समान बताया जाये उसे उपमान कहते हैं। इस उदाहरण में ‘कमल’ उपमान है।

Samas Samas Vigrah

समास के प्रकार (Types of samas in Hindi)

समास 6 प्रकार के होते हैं:

1) अव्ययीभाव समास (Awyayibhaw Samas)

2) तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)

3) कर्मधारय समास (Karmdharay Samas)

4) द्विगु समास (Dwigu Samas)

5) द्वन्द्व समास (Dwandw Samas)

6) बहुब्रीहि समास (Bahubreehi Samas)

प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद

संयोगमूलक समास

आश्रयमूलक समास

वर्णनमूलक समास

1) अव्ययीभाव समास (Awyayibhaw Samas)

जिस समास में प्रथम पद प्रधान हो और वह क्रिया-विशेषण अव्यय से, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं

जैसे:

प्रतिदिन- दिन-दिन

यथाशक्ति- शक्ति के अनुसार

यथाविधि- विधि के अनुसार

यथाक्रम- कर्म के अनुसार

प्रत्येक- एक-एक के प्रति

बारम्बार- बार-बार

आजन्म- जन्मपर्यन्त

भरपेट- पेट-भर

2) तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)

जिस समास में पहला पद गौण तथा दूसरा पद प्रधान रहता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं. वैसे तो तत्पुरुष समास के 8 भेद होते हैं किन्तु विग्रह करने की वजह से कर्ता और सम्बोधन दो भेदों को लुप्त रखा गया है। इसलिए विभक्तियों के अनुसार या कारक चिन्हों के अनुसार तत्पुरुष समास के 6 भेद होते हैं

द्वितीया तत्पुरुष समास (कर्म तत्पुरुष समास – को)

द्वितीया तत्पुरुष समास या कर्म तत्पुरुष समास क्या होता है :- इसमें दो पदों के बीच में कर्मकारक छिपा हुआ होता है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को’ होता है। ‘को’ को कर्मकारक की विभक्ति भी कहा जाता है।

जैसे:

सुखप्राप्त-सुख को प्राप्त करने वाला

माखनचोर- माखन को चुराने वाला

पतितपावन- पापियों को पवित्र करने वाला

स्वर्गप्राप्त- स्वर्ग को प्राप्त करने वाला

चिड़ीमार- चिड़ियों को मारने वाला

रथचालक- रथ को चलने वाला

ग्रामगत- ग्राम को गया हुआ

वनगमन- वन को गमन

मुंहतोड़- मुंह को तोड़ने वाला

देशगत- देश को गया हुआ

जनप्रिय- जन को प्रिय

मरणासन्न- मरण को आसन्न

गिरहकट- गिरह को काटने वाला

कुंभकार- कुंभ को बनाने वाला

गृहागत- गृह को आगत

कठफोड़वा- कांठ को फोड़ने वाला

शत्रुघ्न- शत्रु को मारने वाला

गिरिधर- गिरी को धारण करने वाला

मनोहर- मन को हरने वाला

यशप्राप्त- यश को प्राप्त

तृतीया तत्पुरुष समास (करण तत्पुरुष समास- से)

तृतीया तत्पुरुष समास या करण तत्पुरुष समास क्या होता है :- जहाँ पर पहले पद में करण कारक का बोध होता है। इसमें दो पदों के बीच करण कारक छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह या विभक्ति ‘के द्वारा’ और ‘से’ होता है।

Samas Samas Vigrah

जैसे:

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