Where is meaning of parbhu ji tum chandan ham pani lessons of Rahim
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होलराय ब्रह्मभट्ट अकबर के समय में हरिवंश राय के आश्रित थे और कभी कभी शाही दरबार में भी जाया करते थे।
होलराय ने अकबर से कुछ ज़मीन पाई थी जिसमें होलपुर गाँव बसाया था।
कहा जाता हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने इन्हें अपना लोटा दिया था जिस पर इन्होंने कहा था -
लोटा तुलसीदास को लाख टका को मोल।
गोस्वामी जी ने तुरंत उत्तर दिया,
मोल तोल कछु है नहीं, लेहु राय कवि होल।
इस घटना से इनकी पुष्ट होती थी।
सम्भवत: होलराय केवल राजाओं और रईसों की विरुदावली वर्णन किया करते थे जिसमें जनता के लिए ऐसा कोई विशेष आकर्षण नहीं था कि इनकी रचना सुरक्षित रहती।
अकबर बादशाह की प्रशंसा में इन्होंने यह कवित्त लिखा है -
दिल्ली तें न तख्त ह्वैहै, बख्त ना मुग़ल कैसो,
ह्वैहै ना नगर बढ़ि आगरा नगर तें।
गंग तें न गुनी, तानसेन तें न तानबाज,
मान तें न राजा औ न दाता बीरबरतें
खान खानखाना तें न, नर नरहरि तें न,
ह्वैहै ना दीवान कोऊ बेडर टुडर तें।
नवौ खंड सात दीप; सात हू समुद्र पार,
ह्वैहै ना जलालुदीन साह अकबर तें
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