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arushi78:
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चाह का मतलब है – प्रबल इच्छा या महत्वकांक्षा. मानव-शक्ति की कहीं-न-कहीं सीमा होती है. इसलिए मनुष्य जितना सोच सकता है, उतना कर नहीं सकता. उसकी सारी इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकती. उसकी वे इच्छाएं ही पूरी होती हैं जिनके पीछे उसके मन की शक्ति होती है. उसकी वे इच्छाएं ही पूरी होती हैं जिनके पीछे उसके मन की शक्ति होती है. जब आदमी की चाहत उसका इरादा बन जाती है, तो उसकी पूर्ति के लिए रास्ते निकल ही जाते हैं. संकल्प की दृढ़ता के सामने कोई बाधा ठहर नहीं पाती.
मनुष्य की चाहत में अपार क्षमता (ability) होती है. संकल्प की शक्ति पर्वतों को भी हिला सकती है. आदमी ने पक्षियों की तरह उड़ना चाहा, तो उसने हवाई जहाज बनाया और वह गगनविहार करने लगा. जलयान बनाकर वह महासागर के सीने पर जलक्रीड़ा कर रहा है. प्राचीन काल में कठोर तप करने के पीछे अपनी किसी-न किसी चाह को पूरा करने का निश्चय हो होता था. राजा भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाना चाहते थे. उन्होंने उग्र तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनके आदेश से गंगा का पावन प्रवाह भारत में आया. वास्तव में संसार में कुछ भी असंभव नहीं है. आदमी चाहे, तो स्वर्ग को भी धरती पर उतार सकता है.
मनुष्य की चाहत में अपार क्षमता (ability) होती है. संकल्प की शक्ति पर्वतों को भी हिला सकती है. आदमी ने पक्षियों की तरह उड़ना चाहा, तो उसने हवाई जहाज बनाया और वह गगनविहार करने लगा. जलयान बनाकर वह महासागर के सीने पर जलक्रीड़ा कर रहा है. प्राचीन काल में कठोर तप करने के पीछे अपनी किसी-न किसी चाह को पूरा करने का निश्चय हो होता था. राजा भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाना चाहते थे. उन्होंने उग्र तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनके आदेश से गंगा का पावन प्रवाह भारत में आया. वास्तव में संसार में कुछ भी असंभव नहीं है. आदमी चाहे, तो स्वर्ग को भी धरती पर उतार सकता है.
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