Which village is mentioned in the inscription of Prabhavati Gupta? *
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मंझन गाँव Manjhan Goan
शगुन गाँव Shagun Gaon
दंगुन गाँव Dangun Gaon
रंगून गाँव Rangun Gaon
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Explanation:
village of Danguna
Prabhavati Gupta and the village of Danguna
This is what Prabhavati Gupta states in her inscription : Prabhavati Gupta ... commands the gramakutumbinas (householders/ peasants living in the village). Brahmanas and others living in the village of Danguna.
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मंझन, हिंदी सूफी प्रेमाख्यान परंपरा के कवि थे। मंझन के जीवनवृत्त के विषय में उसकी एकमात्र कृति "मधुमालती" में संकेतित आत्मोल्लेख पर ही निर्भर रहना पड़ता है। मंझन ने उक्त कृति में शहएवक्त सलीम शाह सूर, अपने गुरू शेख मुहम्मद गौस एवं खिज्र खाँ का गुणानुवाद और अपने निवासस्थान तथा "मधुमालती" की रचना के विषय का उल्लेख किया है।
मंझन ने "मधुमालती" की रचना का प्रारंभ उसी वर्ष किया, जिस वर्ष सलीम अपने पिता शेरशाह सूर की मृत्यु (952 हिजरी सन् 1545 ई0) के पश्चात् शासक बना। इसीलिए सूफी-काव्य-परंपरा के अनुसार कवि ने शाह-ए-वक्त सलीम शाह सूर की अत्युक्तिपूर्ण प्रशंसा की है। शत्तारी संप्रदायी सूफी संत शेख मुहम्मद गौस के मंझन के गुरू थे। जिनका पर्याप्त प्रभाव बाबर, हुमायूँ और अकबर तक पर भी था। बड़ी निष्ठा और बड़े विस्तार के साथ कवि ने अने इस गुरू की सिद्धियों की बड़ाई की है। उक्त उल्लेख को देखे हुए मंझन ऐतिहासिक व्यक्ति खिज्र खाँ (नौंना) के कृपापात्र जान पड़ते हैं। मंझन जाति के मुसलमान थे।
"मधुमालती" का रचनाकाल 952 हिजरी (सन् 1545 ई0) है। इसमें कनकगिरि नगर के राजा सुरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर नरेश विक्रमराय की कन्या मधुमालती की सुखांत प्रेमकहानी कही गई है। इसमें "जो सभ रस महँ राउ रस ताकर करौं बखान "कविस्वीकारोक्ति के अनुसार जो सभी रसों का राजा (शृंगार रस) है उसी का वर्णन किया गया है, जिसकी पृष्ठभूमि में प्रेम, ज्ञान और योग है।
उनके जीवनदर्शन की मूलभित्ति ज्ञान-योग-संपन्न प्रेम है। प्रेम की जैसी असाधारण और पूर्ण व्यंजना मंझन ने की है वैसी किसी अन्य हिंदी सूफी कवि ने नहीं की। उनकी कविता प्रसादगुण युक्त है।
मंझन ने "मधुमालती" की रचना का प्रारंभ उसी वर्ष किया, जिस वर्ष सलीम अपने पिता शेरशाह सूर की मृत्यु (952 हिजरी सन् 1545 ई0) के पश्चात् शासक बना। इसीलिए सूफी-काव्य-परंपरा के अनुसार कवि ने शाह-ए-वक्त सलीम शाह सूर की अत्युक्तिपूर्ण प्रशंसा की है। शत्तारी संप्रदायी सूफी संत शेख मुहम्मद गौस के मंझन के गुरू थे। जिनका पर्याप्त प्रभाव बाबर, हुमायूँ और अकबर तक पर भी था। बड़ी निष्ठा और बड़े विस्तार के साथ कवि ने अने इस गुरू की सिद्धियों की बड़ाई की है। उक्त उल्लेख को देखे हुए मंझन ऐतिहासिक व्यक्ति खिज्र खाँ (नौंना) के कृपापात्र जान पड़ते हैं। मंझन जाति के मुसलमान थे।
"मधुमालती" का रचनाकाल 952 हिजरी (सन् 1545 ई0) है। इसमें कनकगिरि नगर के राजा सुरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर नरेश विक्रमराय की कन्या मधुमालती की सुखांत प्रेमकहानी कही गई है। इसमें "जो सभ रस महँ राउ रस ताकर करौं बखान "कविस्वीकारोक्ति के अनुसार जो सभी रसों का राजा (शृंगार रस) है उसी का वर्णन किया गया है, जिसकी पृष्ठभूमि में प्रेम, ज्ञान और योग है।
उनके जीवनदर्शन की मूलभित्ति ज्ञान-योग-संपन्न प्रेम है। प्रेम की जैसी असाधारण और पूर्ण व्यंजना मंझन ने की है वैसी किसी अन्य हिंदी सूफी कवि ने नहीं की। उनकी कविता प्रसादगुण युक्त है।
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