who constructed the Dhai din ka jhopra ?
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अढ़ाई दिन का झोंपड़ा' 1192 ईस्वी में अफगान सेनापति मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था। असल में इस जगह पर एक बहुत बड़ा संस्कृत विद्यालय (स्कूल) और मंदिर थे, जिन्हें तोड़कर मस्जिद में बदल दिया गया था।
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Qutb al-Din Aibak is the founder of dhai din ka jhopra
The original building was partially destroyed and converted into a mosque by Qutb-ud-Din-Aibak of Delhi in the late 12th century. According to a local legend, after defeating Vigraharaja's nephew Prithviraja III in the Second Battle of Tarain, Muhammad Ghori passed through Ajmer. There, he saw the magnificent temples, and ordered his slave general Qutb-ud-Din-Aibak to destroy them, and construct a mosque – all within 60 hours (that is, 2+1⁄2 days). The artisans could not build a complete mosque in 60 hours time, but constructed a brick screen wall where Ghori could offer prayers. By the end of the century, a complete mosque was built.
or,
'अढ़ाई दिन का झोंपड़ा' 1192 ईस्वी में अफगान सेनापति मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था। असल में इस जगह पर एक बहुत बड़ा संस्कृत विद्यालय (स्कूल) और मंदिर थे, जिन्हें तोड़कर मस्जिद में बदल दिया गया था। अढ़ाई दिन के झोपड़े के मुख्य द्वार के बायीं ओर संगमरमर का बना एक शिलालेख भी है, जिसपर संस्कृत में उस विद्यालय का जिक्र किया गया है।