Who said to whom that mangal bhawan amangal haari?
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जो अशुभ को भगाता है और सौभाग्य को लाता है! सो दशरथ अजिर बिहारी, द्रव्यहु! भगवान श्री राम का अद्भुत और मनमोहक भक्ति महाकाव्य, श्री रामचरितमानस, जहाँ से उपरोक्त मूल भगवद कृपा उपहार वाक्यांश लिया गया है! भक्ति काव्य के रचयिता प्रात:स्मृति गोस्वामी संत श्री तुलसी दास जी महाराज सभी प्रकार के मंगलों की प्राप्ति तथा विपत्तियों (आपदाओं) के न्यूनीकरण के लिए अत्यंत सरल एवं सरल साधन के रूप में यह उपदेश देते हैं। जी सियाराम! हर हर महादेव, मंगल भवन, और अमंगल हरि नमः पार्वती के रूप में प्रस्थान करते हैं। जाहि जपत पुरारि और उमा एक साथ !
जी सियाराम! हर हर महादेव नमः पार्वती पतये
Explanation:
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी
अर्थ : जो मंगल करने वाले और अमंगल हो दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझपर अपनी कृपा करे।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अर्थ : जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है ,वही होगा | हम्हारे कुछ करने से वो बदल नही सकता।
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी
अर्थ : बुरे समय में यह चार चीजे हमेशा परखी जाती है , धैर्य , मित्र , पत्नी और धर्म।
जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
अर्थ : सत्य को कोई छिपा नही सकता , सत्य का सूर्य उदय जरुर होता है।
हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी
अर्थ : जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
अर्थ : रघुकुल परम्परा में हमेशा वचनों को प्राणों से ज्यादा महत्व दिया गया है।
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
अर्थ : प्रभु श्री राम भी अंनत हो और उनकी कीर्ति भी अपरम्पार है ,इसका कोई अंत नही है। बहुत सारे संतो ने प्रभु की कीर्ति का अलग अलग वर्णन किया है।
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