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भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार होता रहा है। भारत के कश्मीर, नागालैंड, पंजाब, असम, बिहार आदि विशेषरूप से आतंक से प्रभावित रहे हैं।
आतंकवाद भारत की प्रमुख सबसे बड़ी समस्या है, जिसने भारतीय शासन-व्यवस्था को जर्जर कर दिया है । आतंकवाद ने भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों को प्रभावित किया है । अत: इसे दूर करना अत्यधिक आवश्यक है ।
जो क्षेत्र आज आतंकवादी गतिविधियों से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं उनमें जम्मू-कश्मीर, मुंबई, मध्य भारत (नक्सलवाद) और सात बहन राज्य (उत्तर पूर्व के सात राज्य) (स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मामले में) शामिल हैं। अतीत में पंजाब में पनपे उग्रवाद में आंतकवादी गतिविधियां शामिल हो गयीं जो भारत देश के पंजाब राज्य और देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई थीं।
आतंकवाद का अर्थ किसी विनाशकारी शक्ति द्वारा विभिन्न तरीकों से भय की स्थिति को उत्पन्न करना हैं । किसी भी प्रकार के आतंकवाद से चाहे वे क्षेत्रीय हो, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय हो – सभी के कारण देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
आतंकवाद की सीमा कोई एक राज्य, देश अथवा क्षेत्र नहीं है । आज यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या के रूष में उभर रही हैं । यदि किसी एक देश पर दूसरा देश आक्रमण करता है, तो समस्या का समाधान दोनों देशों की सरकारों की बातचीत, संधि आदि से हो जाता है । लेकिन आतंकवाद का कोई हल नहीं हैं । आतंकवाद का लक्ष्य केवल आतंक फैलाना है ।
सिनेमाघरों, रेलगाड़ियों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बम विस्फोट द्वारा आतंक फैलाना एक आम घटना बन गई है । सिनेमाघर में फिल्म देखते हजारों दर्शकों की बम के विस्फोट के कारण मृत्यु हो जाती है । रेल अथवा वायुयान में अपने गंतव्य की ओर बढ़ते यात्रियों की यात्रा बम के धमाके के साथ ही समाप्त हो जाती है ।
आतंकवाद के कारण आज जीवन अनिश्चित बन गया है । कभी भी, कहीं भी कुछ भी हो सकता है । आतंकवाद का उद्देश्य क्या है? आतंकवादियों को इस कुकृत्य से क्या मिलता है? इस का उत्तर बहुत सरल है । आतंकवादियों का उद्देश्य मात्र आतंक फैलाना है । उन्हें इससे कुछ प्राप्त नहीं होता, बल्कि हानि ही होती होगी । इससे उनके संगठन का नाम खराब होता है । नैराश्य की भावना के कारण वे आतंक फैलाते है ।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्र भारत में भी पुलिस तथा अन्य कानून संबंधी संगठन निर्दोष जनता पर अत्याचार करते हैं । बहुत से राजनैतिक शक्तियाँ द्वारा पथभ्रष्ट युवकों को काम समाप्त हो जाने के बाद तथाकथित ‘मुठभेड़ों’ में पुलिस की गोली का शिकार होना पड़ता है । इनमें कई बेकसूर लोगों की जानें चली जाती हैं और अपराधी फरार हो जाता है ।
यह भी देखा गया है कि मारे गए निर्दोष व्यक्तियों के मित्र, भाई बदले की भावना से स्वयं आतंकवादी बन जाते हैं । जिस देश में रक्षक ही भक्षक बन जाए, वहाँ आतंकवाद का विस्तार और अधिक होता जाएगा । भारत का प्रत्येक नागरिक आतंकवाद का विरोधी है । इससे कुछ भी प्राप्त नहीं होता है । लेकिन कुछ देश यह मानते हैं कि यह सरकारी तंत्र के आतंकवाद का जवाब हैं ।
इन देशों में अपराधी, भ्रष्ट राजनीतिज्ञ, तस्कर खुले आम घूमते रहते हैं, उनको पकड़ने के लिए कानून के पास कोई सबूत नहीं हैं । कई बार अपराधी राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर देश में आतंक फैलाते हैं । इस प्रकार के भ्रष्ट शासन तंत्र में अपराधी कभी भी गिरफ्त में नहीं आते है ।