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सिंसयर मेंशयिंलत, व्यवस्थय और सद्भयवनय के प्रसयर के ल ए बयद्ध, ईसय मसीह, मयहम्मद चैतन्य, नयनक
आलद महयपयरुषोिंनेधमुके मयध्यम सेमनयष्य को परम कल्ययण के पथ कय लनदेशन लकर्य, लकिं तयबयद
मेंर्ही धमुमनयष्य के हयथ मेंएक अस्त्र बन गर्य। धमुके नयम पर पृथ्वी पर लजतनय रक्तपयत हुआ
उतनय और लकसी कयरण सेनही िं। पर धीरे-धीरेमनयष्य अपनेशयभ बयद्धद्ध सेधमुके कयरण होनेवय े
अनथुको समझने ग गर्य है। भौगोल क सीमय और धयलमुक लवश्वयस जलनत भेदभयव अब धरती से
लमटतेजय रहेहैं। लवज्ञयन की प्रगलत तथय सिंचयर के सयधनोिंमेंवृद्धद्ध के कयरण देशोिंकी दू ररर्यिं कम हो
गई है। इसके कयरण मयनव-मयनव मेंघृणय, ईष्ययुवैमनस्य कटयतय मेंकमी नही िंआई। मयनवीर् मूल्योिं
के महत्व के प्रलत जयगरूकतय उत्पन्न करनेकय एकमयत्र सयधन हैलशक्षय कय व्ययपक प्रसयर।
प्रश्
(क) मनयष्य अधमुके कयरण होनेवय ेअनथुको कै सेसमझने गय है?
(ख) लवज्ञयन की प्रगलत और सिंचयर के सयधनोिंकी वृद्धद्ध कय पररणयम क्यय हुआ है?
(ग) देश मेंआज भी कौन-सी समस्यय है?
(घ) लकस कयरण सेदेश मेंमयनव के बीच, घृणय, ईष्ययु, वैमनस्यतय एविं कटयतय मेंकमी नही िंआई है?
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