Geography, asked by pasumaijothi, 6 months ago

Why are the southern slopes in Himalayan
region covered with thick vegetation cover as compared
to northern slopes of the same hills?​

Answers

Answered by anishrajar12
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Answer:

दुर्गा पूजा

आश्विन शुक्लपक्षे प्रतिवर्षं दुर्गा पूजयन्ति भारतवासिनः । विशेषेण भारतदेशस्य पूर्वस्यां दक्षिणस्यां दिशि, बंग, असम, अरुणाचल, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालयं, मिजोरम, नागालैंड, बिहार, उड़ीसा, आन्ध्र, तमिलनाडु आदि राज्येषु अयं महोत्सवः उसाहेन प्रवर्तते । देवासुरसंग्राम महिषासुरेण भयंकरं युद्धम् प्रवुत्तम् । तस्मिन् विजयार्थ सर्वे देवाः मिलित्वा संयुक्तां शक्तिं निर्माय अयुध्यन्त । अतः इयं पूजा शक्तिपूजापि कथ्यते । प्रतिपदा प्रभृति दशमी यावत् अयम उत्सवः आयोजयते । देव्याः पुजनेन मानवस्य न कुत्रापि पराजयों भवति ।

दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥

हिन्दी अनुवाद :

आश्विन महिना के शुक्ल पक्ष में प्रतिवर्ष भारत के लोग दुर्गा पूजते है । खासकर भारत के पूर्व और दक्षिण में वंगाल, असम, अरुणाचल, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, बिहार, उड़ीसा, आन्ध्र, तमिलनाडु आदि राज्यों में यह महोत्सव उत्साह पूर्वक मनाया जाता है । देवासुर समय में महिषासुर के साथ भयंकर युद्ध हुआ था । उसपर विजय प्राप्त करने के लिए सभी देवता मिलकर शक्ति का निर्माण किए । अतः इस पूजा को शक्ति पूजा भी कहा जाता है । यह पर्व परीव तिथि से लेकर दशमी तिथि तक मनाया जाता है । देवी के पूजने से मानव की कही पराजय नहीं होती है ।

दुर्गा, दुर्गपारा, सारा, सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रा देवी को सर्वदा नमस्कार है

वसंत ऋतु

वसन्तः रमणीयः ऋतुः अस्ति । इदानीं शीतकालस्य भीषणा शीतलता न भवति । मन्दं मन्दं वायुः चलती । विहंगाः कूजन्ति । विविधैः कुसुमैः वृक्षाः आच्छादिताः भवन्ति । कुसुमेषु भ्रमराः गुज्जन्ति । धान्येन धरणी परिपूर्णा भवति । कृषकाः प्रसन्नाः दृश्यन्ते । कोकिलाः मधुरं गायन्ति । आम्रेषु मज्जर्यः दृश्यन्ते । मज्जरीभ्यः मधु स्रवति ।

हिन्दी अनुवाद :

वसन्त एक सुन्दर ऋतु है । इस समय शीत काल की तरह भीषण ठंडा नहीं रहता है । धीरे-धीरे हवा वहती है । पनी गाते है । विभिन्न प्रकार के फूलों से वृक्ष भर जाते हैं । फूलों पर भौरा गुंजते हैं । पृथ्वी धान से भर जाता है । किसान प्रशन्न रहते हैं । कोयल मधुर गाते है । आमों में मंजर देखे जाते है । मजरों से मधु तैयार होता है ।

Chattampi Swamikal denounced the orthodox interpretation of Hindu texts citing sources from the Vedas. Swamikal along with his contemporary, Narayana Guru, strived to reform the heavily ritualistic and caste-ridden Hindu society of the late 19th century Kerala. Swamikal also worked for the emancipation of women and encouraged them to come to the forefront of society. Swamikal promoted vegetarianism and professed non-violence (Ahimsa). Swamikal believed that the different religions are different paths leading to the same place. Chattampi Swamikal throughout his intellectually and spiritually enriched life maintained many friends from different regions of Kerala. He authored several books on spirituality, history, and language staying with these friends.Malayalam chattambi swamikal notes of 'sadharanakkaranaya sanyasi' chapter please. i will mark as brainliestChattampi Swamikal (25 August 1853 – 5 May 1924) was a Hindu sage and social reformer. His thoughts and work influenced the launching of many social, religious, literary and political organisations and movements in Kerala and for the first time gave voice to those who were marginalised.

Answered by irfanahmad620074
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Answer:

The southern slopes of the Himalaya receive more rain due to the south west monsoon winds which travel west along the southern slops. The northern slopes do not receive any such rainfall. So the southern slopes are covered with thick vegetation as compared to the northern slopes

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