why do you think that democracy has been judged and criticized from time to time
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Indeed, it has been said that democracy is the worst form of government except all those other forms that have been tried from time to time. ·
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Before, I write something on democracy, I would like to please go through the following story. The people living in flats can easily relate to it.
कम्बख़त आज़ादी
पती पत्नी तेरहवीं मंजिल के फ्लेट में, सर्दियों की सन्नाटे की रात में विचार कर रहे थे, की कैसे करें रोज आधी रात को, जब वो गहरी नींद में होते हैं, तो ऊपर के फ्लेट वाला लड़का, जो रात को देर से आता है, पटक कर बारी बारी से फर्श पर जूते खोल कर दे मारता है, और धाड़ धाड़ की आवाज़ उनकी नींद खोल देती है । तय हुआ की उसे सुबह विनती की जाऐ । ऐसा संभव हो पाया रवीवार को । पत्नी बोली " भाई हम दोनों नौकरी वाले हैं, बच्चे की देखभाल भी करनी होती है, आप रात को जब जोर से जूते उतार कर पटकते हो, तो नीचे इनकी तेज आवाज़ आती है और हमारी नींद टूट जाती है, कृपया धीरे से रख दिया करो" । लड़के ने , जो सुडोल शरीर का, डार्क कम्पलेक्शन, मुस्कराहट का तो जैसे उसने शब्द सुना ही न हो, "ठीक है" कह कर चलता बना ।
दम्पती ने एक सहज सांस ली और मन ही मन सोचा यह तो ठीक हुआ ।
पर ठीक नहीं हुआ, वैसे ही चलता रहा । अक्समिक एक दिन वो लड़का फिर उन्हें लिफ्ट में मिला तो पत्नी ने फिर विनती की, पर उसने कोई उत्तर नहीं दिया ।
दम्पती का मानसिक तनाव बढ़ता गया और उन्होंने सोसाइटी के सेक्रेट्री को शिकायत की और एक मीटिंग बुलाई गई । सेक्रेट्री, सदस्य और दम्पती तो निश्चित समय पर पहुंच गए, पर लड़का नहीं आया । विचार होता रहा कैसे किया जाए, पर कुछ समय पश्चात् लड़का आ गया, पर यह क्या, उसके साथ तो सात लड़के और थे । सेक्रेट्री ने उसे जब कहा की तुम जूते रात को फ्लैट में मत पटका करो, फ्लैटों में नीचे वालों को आवाज़ तेज लगती है, लड़का बोला " मेरे ही फ्लैट में मुझे इतनी भी आज़ादी नहीं? यह कैसे हो सकता है । आप तो हमारी आज़ादी छीनना चाहते हो" । उसके साथ आए लड़के भी चिल्लाने लगे "आज़ादी तो चाहिए, इसे गुलाम बनाने की कोशिश तो मत करो" सेक्रेटरी ने हालात की नाज़ुकता को समझते हुए और सोचते हुए की यह तोड़ फोड़ न कर दें, निर्णय टाल दिया ।
निर्णय लटकता रहा और अन्ततः वो दम्पती फ्लेट छोड़कर कहीं और चले गए, कोई नहीं जानता की वो कहां गए । कम्बख़त आज़ादी ।
Democracy is ok, but when the value or weightage of a vote of person having doctorate degree, intelligent and pious and other who does not know what democracy is and how his vote will impact, is the same, how democracy will effective, I fail to understand. Try to find out within you an answer to a simple question i.e “ Do people, who abide by the laws are more happy or the people who donot adhered to the laws? If your answer is in favour of the first, then our democracy is doing well and if in favour of the later then otherwise.
Source : Quora
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Hope it's helpful to you ☺️