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pls answer plsssss
AVTARAN FROM CHPT SANSKAR AUR BHAVNA
हाँ, उसी ने कहा था। मैंने उसे बहुत समझाया, अपने प्रेम की दुहाई दी, पर वह सदा
यही कहता रहा : 'माँ, सन्तान का पालन माँ-बाप का नैतिक कर्त्तव्य है। वे किसी
पर कोई एहसान नहीं करते, केवल राष्ट्र का ऋण चुकाते हैं। वे ऋण मुक्त हों, यही
उनका परितोष है। इससे अधिक मोह है, इसीलिए पाप है
QUESTION
राष्ट्र का ऋण'- का अर्थ स्पष्ट कीजिए। बच्चों के पालन-पोषण को 'राष्ट्र का
ऋण' क्यों कहा गया है ? समझाकर लिखिए।
PLS ANSWER
ONLY CORRECT ONES
I NEED HELP PLS
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Answer:
एक देश अपनी जनता को बहुत कुछ देता है। रहने के लिए जमीन, खाने के लिए खाना। वो अपने बच्चे का पालन पोषण करते है,उसे अच्छे संस्कारों से भरते है ताकि वो इस देश की सेवा कर सके। उस देश के विकास का भगीदार बन सके। वो अपने बच्चे में देश भक्ति भर के उस देश के ऋण से मुक्त हो सके।
Explanation:
it will be something like this. hope you like the answer. take care.
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