Winter vacation letter in hindi language
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मुझे सर्दियों की छुट्टी बहुत पसंद है, यह साल का वह समय है जब वातावरण बहुत सुखद होता है| इस वर्ष की सर्दियों की छुट्टी मेरे लिए बहुत खास थी, मैंने इस छुट्टी में बहुत अच्छी और नयीं चीज़े सिंखी| मेरे माता-पिता ने महाराष्ट्र के कोंकण भाग की दो दिन की यात्रा की योजना बनाई थी| यह मेरे घर से बहुत दूर नहीं है, लेकिन में इस क्षेत्र में पहले कभी भी गया नहीं था। मेरा पिता हमेशा छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य और किलों के बारे में बात करते हैं, उन्होंने बहोत सारे ऐतिहासिक जगहे देखी है और उनपे अध्ययन भी किया है| वह मुझे इस सुनहरे इतिहास की झलक दिखाना चाहते थे इसलिए उन्होंने कोंकण क्षेत्र में किलों का दौरा करने की योजना बनाई थी। पहले तो मुझे ज्यादा रूचि नहीं थी, पर अब में बहुत खुश हूँ की में उस ट्रिप पर गया| हमने पुणे से अपना घर छोड़ा और घर से १५० किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ किले का दौरा किया। इससे पहले, हमने महाबलेश्वर के पर्यटन स्थलोंका का आनंद लिया। मुझे आर्थर सीट और एलफिन्स्टन पॉइंट बहुत पसंद आयें| हमने प्रतापगढ़ किले के लगभग ५०० सिढीयोंके चढ़ाई का आनंद लिया। सर्दियों के मौसम की सबसे अच्छी बात है की हम इस मौसम में हम आसानी से थकते नहीं। हमने शिवाजी महाराज की विशाल प्रतिमा को देखा, गाइड ने हमें इस जगह का इतिहास बताया। उन्होंने हमें बताया कि कैसे बहादुर शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध किया और जनता को उसके कहर से बचाया| हमने अफज़ल खान की समाधी भी देखी। किले में स्थित भवानी माता के आशीर्वाद लेके हम लोग निचे उतरे| थोडीही दूर हमें हस्तकला की एक बड़ी प्रदर्शनी देखी| वहां पे देश के कोने-कोने से लायी, अचंभित करने वाली चीज़े देखी| हमारे भारत के शिल्पकार, कारीगर इतने प्रतिभाशाली हे इसका मुझे अंदाज़ा नहीं था| मैंने उस प्रदर्शनी में १ घंटेसे ज्यादा वक्त बिताया, प्रदर्शनी के स्वयंसेवकोने मुझे बहुत जानकारी दी| हमने वहांसे कुछ चीज़ें भी खरीदी| अब तक शाम हो गयी थी, हम वहांसे घाट उतरकर महाड पोहंचे। उस शाम हमने होटल में आराम किया| अगले दिन सुबह हमने एक और ऐतिहासिक स्थल की यात्रा की।यह वहीं महाड शहर है जहाँ डॉ. बाबासाहेब अंबडेकर ने “महाड सत्याग्रह” किया था| २० मार्च १९२७ को बाबासाहब के अगुवाई में महाड के “चवदार तले” पर पानी का सत्याग्रह हुआ था, यह भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है| वहां से थोडीही दूर “क्रांतिभूमि” के दर्शन किये और हालही में बने डॉ. बाबासाहेब अंबडेकर म्यूजियम की भी भेट ली| अब तक ११ बज चुकें थे, हम फिर आगे रायगढ़ किले की तरफ रवाना हुए| रायगढ़ किला महाड से कुछ ३० किलोमीटर पर है| इस बार किले पर पैदल चढ़ने की जगह हमने केबल कार का अनुभव लेनेका निर्णय लिया| हम २० मिनट में किले पर थे| वहां पे गाइड ने हमें शिवकालीन इतिहास बताया| उनोन्हे उस काल की प्रगत समाज और अर्थ प्रणाली, सार्वजनिक सुविधाएं, बाजार के बारे में बताया| यह सारी चीज़े मैंने किसीभी पाठ्यपुस्तक में नहीं पढ़ी