Hindi, asked by Dppu5913, 1 year ago

Wipattiya manusya ki sarwshresth guru hai

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Answered by 29Aisha
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विपत्तिया मनुष्य की सर्वश्रेष्ट गुरू हैं ,ऐसा इसलिए कहा गया है , क्योकि जब कोई व्यक्ति किसी विपति का सामना करता है,तो वह बिना किसी क़े सहयोग के आगे बढना पसंद करता है। हर कोई गुरू अपने शिष्य को आत्मविश्वासी बनाना चाहता है।

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Answered by roopa2000
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Answer:

विपत्तिया मनुष्य की सर्वश्रेष्ट गुरू हैं ,क्योकि जब कोई व्यक्ति किसी विपति का सामना करता है,तो वह बिना किसी की सहायता  के आगे बढना पसंद करता है। हर कोई गुरू अपने शिष्य को आत्मनिर्भर बनाना चाहता है।

व्याख्या विस्तार से:

हर व्यक्ति सुख सुविधा को सबसे ऊपर  मानता है उसका अभिनन्दन करता है पर सच तो यह है कि मनुष्य व्यक्तित्व उसका सच्चा विकास विपत्तियों में में ही होता है विपत्ति मानव को कर्मठ और कर्तव्य परायण बनाती है विपत्तियों से गिरे हुए व्यक्ति स्वयं की साहसिक को पल्लवित करते हुए दृढ़ता पूर्वक उनका सामना करता है जिस व्यक्ति ने जीवन में कभी विपत्तियों की कटुता का अनुभव नहीं किया वह जीवन के सच्चे स्वरूप से वंचित रह गया विश्व में इतिहास में महापुरुषों के जीवन चरित्र इस बात से ज्वलन्त प्रमाण है कि उन्हें अपने जीवन मार्ग में अनेक विपत्तियों का सामना करके अंततोगत्वा उन पर विजय प्राप्त कि । विपत्ति मनुष्य जीवन की सहनशक्ति में अपरिमित वृद्धि करती है विद्वानों ने इस संबंध में ठीक ही कहा है कि विपत्ति में धमन भट्टीयो में तपने पर ही मानव का जीवन कुंदन बन सकता है विपत्ति में ही अपने पराए का अनुभव होता है विपत्ति मनुष्य को एक अच्छे गुरु के सामान अनुभव प्रदान करती हैं किसी ने ठीक ही कहा है कि विपत्ति मनुष्य की श्रेष्ठ गुरु है.

अर्थात विपत्ति मनुष्य की श्रेष्ठ गुरु है.

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