Wirte an essay on hindi about देश में बढ़ता भ्रष्टाचार.
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भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। ... भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं।
भ्रष्टाचार का अर्थ
भ्रष्टाचार का मतलब इसके नाम में ही छुपा है भ्रष्टाचार यानी भ्रष्ट + आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।
भ्रष्टाचार में मुख्य घूस यानी रिश्वत, चुनाव में धांधली, ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय, पैसे लेकर वोट देना, वोट के लिए पैसा और शराब आदि बांटना, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, अपने कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देना यह सब भ्रष्टाचार ही है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भारत का भ्रष्टाचार में 81 वां स्थान है।
भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार
भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है। राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है। आज भारत में भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, कालाबाजारी अर्थात जानबूझकर चीजों के दाम बढ़ाना, अपने स्वार्थ के लिए चिकित्सा जैसे क्षेत्र में भी जानबूझकर गलत ऑपरेशन करके पैसे ऐंठना, हर काम पैसे लेकर करना, किसी भी सामान को सस्ता लाकर महंगे में बेचना, चुनाव धांधली, घूस लेना, टैक्स चोरी करना, ब्लैकमेल करना, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन करना, हफ्ता वसूली, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपात पूर्ण निर्णय, वोट के लिए पैसे और शराब बांटना, उच्च पद के लिए भाई-भतीजावाद, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, यह सब भ्रष्टाचार है और यह दिन-ब-दिन भारत के अलावा अन्य देशों में भी बढ़ रहा है और कोई क्षेत्र भ्रष्टाचार से नहीं बचा।
शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रहा है। वह तो भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है। एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार मिलता है
भ्रष्टाचार के कारण
1. भ्रष्ट राजनीति के कारण हमारे देश में हर दूसरा राजनेता भ्रष्ट है, उनकी छवि कलंकित है फिर भी वे राजनेता बने हुए हैं और सरकार चला रहे है।
2. भाई भतीजा वाद के कारण बड़े अफसर अपने पदों का दुरुपयोग करके अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिलवा देते हैं, चाहे वह व्यक्ति उस नौकरी के नाकाबिल ही क्यों न हो, जिससे देश में बेरोजगारी तो फैलती ही है।
3. झूठे दिखावे व प्रदर्शन के लिए।
4. झूठी सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए।
5. देश के बड़े उद्योगपति अपना कर बचाने के लिए बड़े अफसरों को रिश्वत देते हैं, ताकि उनको कर नहीं देना पड़े जिससे हमारे देश के विकास के लिए पैसों की कमी हो जाती है। इसके कारण हमारे देश के उद्योगपति और बड़े अफसर दोनों भ्रष्टाचारी हो जाते है।
6. अधर्म तथा पाप से बिना डरे बेशर्म चरित्र के साथ जीने की मानसिकता का होना।
7. अधिक परिश्रम किये बिना धनार्जन की चाहत।
8. राष्ट्रभक्ति का अभाव।
9. मानवीय संवेदनाओं की कमी।
10. गरीबी, भूखमरी तथा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि तथा व्यक्तिगत स्वार्थ की वजह से।
11. लचीली कानून व्यवस्था।
12. नैतिक मूल्यों में आयी भारी गिरावट के कारण।
13. भौतिक विलासिता में जीने तथा ऐशो-आराम की आदत के कारण।
14. धन को ही सर्वस्व समझने के कारण।
15. शिक्षा का अभाव होने के कारण गरीब लोग सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं उठा पाते हैं क्योंकि वहां के जनप्रतिनिधि उन योजनाओं के बारे में उनको अवगत नहीं कराते है और पूरा पैसा स्वंय हजम कर जाते है।
16. सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रष्ट राजनीतिक पार्टियाँ अपना गलत प्रचार करती है और जो काम नहीं भी हुआ होता है उसका भी प्रचार कर देते है।
17. देश के कुछ भ्रष्ट नेता हमारे देश के लोगों को भाषा के नाम पर भी राजनीति करते हैं। लोग अपनी भाषा के विवाद के चलते एक दूसरे से लड़ते रहते हैं और इसी का फायदा उठाकर भ्रष्ट नेता नए घोटालों को अंजाम दे देते है।
18. जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है
भ्रष्टाचार
दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा पूरी दुनिया को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए 9 दिसंबर को 'अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस' मनाया जाता है। इस दिवस को मनाते हुए सभी सरकारी, प्राइवेट, गैरसरकारी सस्थाएं एवं नागरिक संगठन भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता से लड़ाई लड़ने का संकल्प लेते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2003 को एक प्रस्ताव पारित कर 'अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस' मनाए जाने की घोषणा की। यूएनजीए द्वारा यह दिवस प्रत्येक वर्ष 9 दिसंबर को मनाये जाने की घोषणा की गयी। भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण राष्ट्र एवं दुनिया का इस जंग में शामिल होना एक शुभ घटना कही जा सकती है, क्योंकि भ्रष्टाचार आज किसी एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व की समस्या है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बना अधिनियम
भ्रष्टाचार से निपटने के लिए हमारे देश में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 बनाया गया है। यह अधिनियम भारत के बाहर भारत के सब नागरिकों पर भी लागू है।
इसके तहत कोई भी व्यक्ति जो सरकारी सेवा करता हो, केंद्रीय, प्रांतीय, राज्य, में या कोई भी न्यायाधीश, कोई भी व्यक्ति जो कृषि, उद्योग ,बैंक, में हो कोई भी रजिस्टर्ड सोसाइटी, कुलपति, आचार्य, शिक्षक, कर्मचारी, सभी को इस अधिनियम के तहत सजा का प्रावधान है और इसकी सजा निर्धारण करने के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं, ताकि भ्रष्टाचार जैसी बीमारी को हमारे देश से जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया जाए और इस अधिनियम से लोगों के मन में डर बना रहे हैं