Wite full explanation of these kabir das sakhies ...plss don't copy from any website...otherwise answer will reported.... Do it in notebook.. plss
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1. कबीर दास कहते है , कि मनुष्य को अंहकार त्याग कर ऐसी बात कहनी चाहिए जिससे स्वयं को शांति मिले और दूसरे सुनने वालों को भी सुख पँहुचे, अर्थात् वाणी में मधुरता होनी चाहिए जिससे वह स्वयं को तो अच्छी लगे ही और दूसरों को भी अच्छी लगे ।
2. कबीर दास कहते है , कि पुस्तकों को पढते - पढते संसार के लोग मरते जाते हैं लेकिन पंडित कोई भी नही होता है । जो एक अक्षर भी प्रेम का पढ़ लेते हैं वह पंडित या ज्ञानी हो जाता हैं।
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