With reference to Class 11 ISC hindi literature Chapter (साखी) can anyone answer me this question :-
"व्यर्थ को वे विष के समान समझते थे।" यह किसके विषय मे और क्यो कहा गया?
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प्रस्तुत साखी में कबीर जी ने ईश्वर की मनुष्य से विरह वेदना अत्यंत ही सुन्दर ढंग से की है वे कहते है की मनुष्य इस संसार में वेद धरम नियमों का पालन करते करते राम का नाम लेता रहता है तथा ईश्वर की राह तकते तकते आँखों में झाइयां पड़ गयी जीवन पर्यन्त राम का नाम पुकारते पुकारते जीभ में छालें पड़ जातें है फिर भी उसे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती
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