wn कानूनों में बदलाव का आदिवासी समाज ने
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आदिवासी समाज संभवतः भारतीय उप-महाद्वीप का सबसे उपेक्षित समाज है. दस-बीस आदिवासियों का मारा जाना, या सैंकड़ों आदिवासियों का फर्जी मामलों में जेलों में सड़ना मुख्यधारा के मीडिया के लिए कोई खबर नहीं है. कोई नक्सल संबंधी घटना घटने पर बाहरी समाज के लोग आदिवासी इलाकों पर चलताऊ बात करते हैं और अपना मूल्य निर्णय भी दे देते हैं. आदिवासी कौन हैं, किन परिस्थितियों में रहते हैं, उनके क्या मुद्दे हैं, उनका जीवन-दर्शन क्या है, आदि सवालों पर कोई बात नहीं करता. बाहरी समाज ने कभी आदिवासियों को निस्वार्थ भाव से समझने की कोशिश नहीं की.
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