Hindi, asked by raja190, 1 year ago

Write 10 lines about land in Hindi

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Answered by bepositive10
3
1.पृथ्वी सौर मंडल में सूर्य से तीसरा ग्रह है।
2.जीवन पनपनेवाला पृथ्वी एकमात्र ग्रह है।
3.धरती ४.५ अरब साल पहले बनी है।
4. पृथ्वी सूरज के चक्कर काटती है |
5.चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है, यह पृथ्वी के चक्कर काटता है| 6.धरतीपर ७१% पानी और २९% जमीन से आच्छादित है।
7.इसे “ब्लू प्लैनेट” या “मदर अर्थ” भी कहा जाता है|
8.कुछ देश के लोग इसे एक देवी के रूप में पूजा करते हैं। 9.पृथ्वी का आकार गोलाकार है।
10.पृथ्वी के वातावरण की विभिन्न परतें हैं|
11.पृथ्वी के अंदर भी अलग-अलग परतें हैं|
12.पृथ्वी की सतह पहाड़ों, घाटियों, विभिन्न प्रकार के जंगलों से बनी है।


a poem-

धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो

बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो

आओ हम सब मिलजुल कर,
इस धरती को ही स्वर्ग बना दें

देकर सुंदर रूप धरा को,
कुरूपता को दूर भगा दें

नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,
नैतिकता से काम करें

गंदगी फैला भूमि पर
माँ को न बदनाम करें

माँ तो है हम सब की रक्षक
हम इसके क्यों बन रहे भक्षक

जन्म भूमि है पावन भूमि,
बन जाएँ इसके संरक्षक

कुदरत ने जो दिया धरा को
उसका सब सम्मान करो

न छेड़ो इन उपहारों को,
न कोई बुराई का काम करो

धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो

बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो

mark me as brainlist ...

bepositive10: why didn't u mark my answer as brainlist whereas i gave first.
rakshitsinghvi2005: hsidbrisb3ofbsiebdiznwodbeosnwoeneidnfidnwowjx didjeixjdidjs dixieland eidbfisjdid bdbdjdjdjdjdjdjdjdjfjdjdiwntudiwnt8dowjf8sdisndjdndiejeidjdifkf fjfnfjdjdjdjdjdjd didjdjdjdjfjfjff
Answered by LokeshJain
1
Ans.
Topic:-भूमि

सदियों से बंधुआ मजदूरों के रूप में जीते आए गरीब लोग अपनी भूमि रूपी सौगात को खोना नहीं चाहते हैं, परंतु कभी-कभी नासमझी में छोटे लाभ के लिए बड़ा नुकसान हो जाता है । यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कोई छात्र गाइड बुक का सहारा लेकर परीक्षा तो पास कर ले, लेकिन नौकरी के लिए साक्षात्कार में असफल हो जायें ।

इसके सामने सेवा एवं मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों पर केवल 42 प्रतिशत लोग निर्भर हैं, परंतु ये देश की 85 प्रतिशत आय कमा रहे हैं । सेवा आदि क्षेत्रों में औसत आय कृषि की तुलना में पांच गुना से भी अधिक है । विशेष बात यह है कि दोनों क्षेत्रों में आय का अंतर बढ़ता जा रहा है ।

उन्होंने गरीबों को नसीहत दी थी कि वे गांव छोड्‌कर शहरों में बसें । भूमि सुधार हासिल करने में राजनीतिक ऊर्जा भी खप जाती है । भूमि वितरण से गरीब अंत में जीतकर भी हार जाता है, क्योंकि भूमि से आय के ठोस साधन नहीं बनते हैं और दूसरे साधन हासिल करने की ऊर्जा नहीं बचती है ।

विडंबना यह है कि भूमि सुधार के अभाव में भी गरीब को कोई लाभ नहीं होता है । सेवा आदि क्षेत्रों में पूंजी का उपयोग अधिक और श्रम का उपयोग निरंतर कम होता जा रहा है । मैन्यूफैक्चरिंग में एक मीटर कपड़े में निहित श्रम की मात्रा कम हो गयी है । अत: गरीब को रोजगार दिलाने में सेवा आदि क्षेत्र नाकाम है ।

यह सवाल स्वाभाविक है कि दुःख देने वाले और समाज के एक बड़े वर्ग को कोई लाभ न पहुंचा पाने वाले आर्थिक विकास को गले लगाने का क्या औचित्य है? इसमें दो राय नहीं कि जो हालात उभर कर सामने आए हैं उनसे यह स्थापित होता है कि अर्थव्यवस्था को दूसरी तरह से संचालित करने की आवश्यकता है । विकास की गणना देश की आय या जीडीपी से नहीं, बल्कि श्रम की आय से होनी चाहिए ।

ऐसी नीतियां लागू करनी होंगी कि उत्पादन में श्रम का हिस्सा बड़े । विशेषकर सेवा आदि क्षेत्रों में श्रम-सघन उत्पादन को प्रोत्साहन देना होगा । साथ-साथ भूमिहीन खेत मजदूरों को कृषि के स्थान पर शहरों में कमरे आवंटित करने चाहिए । ऐसा करने से गरीब व्यक्ति सेवा आदि क्षेत्रों के नजदीक पहुंचेगा और कृषि की घटती आय से उबर जायेगा ।

If You like my answer than choose me as brainlist.

Thank you!!!!

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