Write 20 lines on जातिवाद-एक भिषण प्रश्न
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जाति व्यवस्था समाज में एक अभिशाप है । इसने समाज को कई हिस्सों में बॉट दिया है ।
यह शुद्ध रुप से शोषण के वर्गीकरण की व्यवस्था है जिसमें मेहनत करने वालों को एक अलग पहचान कराने का काम किया गया है ।
जाति व्यवस्था को धर्म के साथ जोडा गया ताकि धर्म के डर के मारे मजबूरी में इस व्यवस्था को स्वीकार करें ।
क्या जाति व्यवस्था स खत्म नहीं की जा सकती है
वैसे ज्यादा पढ़े लिखे लोग और फिल्म उद्योग इस जाति के चक्कर से बाहर निकलते दिख रहे है यह अच्छा संकेत है ।
जातिवाद के नाम पर राजनीति करना बड़ा आसान हो गया है ऐसे लोग इस व्यवस्था का फायदा लेने में लगे है ।
आज कल उच्च जाति में अपने आप को बताने की कोशिशें होती है । इस मानसिक बीमारी से बाहर निकलने की जरूरत है ।
जाति व्यवस्था ,इंसानो को बॉटकर उनका हमेशा शोषण किया जा सके इसके लिए कुछ लोगों ने अपना दिमाग लगाकर इसको बनाया,धर्म के नाम पर डराकर लागू कराया ।
देश को दुनियां में बड़े देशों के बराबर पर लाना है तो इस जातिवाद जैसी बिमारी को जड़ से मिटाना होगा ।
कितनी बिडम्बना है कि हर प्रदेश अंतर जातीय विवाहो को कागजों में इनाम देने की बात करता है मगर सामाजिक रुप से इसको बदलने की पहल नहीं करते ।
काश ये जाति व्यवस्था समात्त हो जाए तो पूरा समाज विकास करेगा । जाति के नाम पर राजनीति करने वाले विकास की बातें करने लगेगे । तभी देश में बेहतर विकास की प्रक्रिया शुरू होगी
देखिए हर धर्म में जातियॉ है, जातियो में ऊच नीच की व्यवस्था है । यह शुद्ध रुप से शोषण करने के लिए बनाया गया जाल है । जिसको ये पूंजीवादी सत्ता कायम रखना चाहती है ।
ये जाति व्यवस्था मेहनत करने वालों को जाति के आधार पर काम का बटवारा करके सदियों तक, पीढ़ी दर पीढ़ी शोषण करने का आधार बनाती है ।
समाज में जाति व्यवस्था लागू रहे इसके लिए इसको सम्मान से, गोत्र से, छूआछूत से, न जाने कितने तरह से बॉधा गया है ताकि इसको खत्म करने के बारे में कोई सोच न पाए ।
अलग अलग धर्मो के अन्दर भी जाति आधारित भेदभाव की व्यवस्था है । जिसमें कुछ जातियो को आज भी उनके धार्मिक स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं है ।
इस जाति व्यवस्था का परिणाम है कि आज सभी धर्मो की निचली जातियो के पास बहुत ही कम जमीन, सम्पत्ति है । यह केवल अपने श्रम को बेच कर ही अपना जीवन पालन करते है । यह काम योजना के तहत किया गया है । ऐसी व्यवस्था को तोड़ने की जरूरत है ।
ये जाति व्यवस्था सोची समझी राजनीति है । जातियो के ठेकेदार इसको समात्त नहीं करना चाहते हैं ताकि उनकी राजनीति चलती रहे है और वो इन लोगों का पीढ़ी दर पीढ़ी शोषण करते रहे ।
यह शुद्ध रुप से शोषण के वर्गीकरण की व्यवस्था है जिसमें मेहनत करने वालों को एक अलग पहचान कराने का काम किया गया है ।
जाति व्यवस्था को धर्म के साथ जोडा गया ताकि धर्म के डर के मारे मजबूरी में इस व्यवस्था को स्वीकार करें ।
क्या जाति व्यवस्था स खत्म नहीं की जा सकती है
वैसे ज्यादा पढ़े लिखे लोग और फिल्म उद्योग इस जाति के चक्कर से बाहर निकलते दिख रहे है यह अच्छा संकेत है ।
जातिवाद के नाम पर राजनीति करना बड़ा आसान हो गया है ऐसे लोग इस व्यवस्था का फायदा लेने में लगे है ।
आज कल उच्च जाति में अपने आप को बताने की कोशिशें होती है । इस मानसिक बीमारी से बाहर निकलने की जरूरत है ।
जाति व्यवस्था ,इंसानो को बॉटकर उनका हमेशा शोषण किया जा सके इसके लिए कुछ लोगों ने अपना दिमाग लगाकर इसको बनाया,धर्म के नाम पर डराकर लागू कराया ।
देश को दुनियां में बड़े देशों के बराबर पर लाना है तो इस जातिवाद जैसी बिमारी को जड़ से मिटाना होगा ।
कितनी बिडम्बना है कि हर प्रदेश अंतर जातीय विवाहो को कागजों में इनाम देने की बात करता है मगर सामाजिक रुप से इसको बदलने की पहल नहीं करते ।
काश ये जाति व्यवस्था समात्त हो जाए तो पूरा समाज विकास करेगा । जाति के नाम पर राजनीति करने वाले विकास की बातें करने लगेगे । तभी देश में बेहतर विकास की प्रक्रिया शुरू होगी
देखिए हर धर्म में जातियॉ है, जातियो में ऊच नीच की व्यवस्था है । यह शुद्ध रुप से शोषण करने के लिए बनाया गया जाल है । जिसको ये पूंजीवादी सत्ता कायम रखना चाहती है ।
ये जाति व्यवस्था मेहनत करने वालों को जाति के आधार पर काम का बटवारा करके सदियों तक, पीढ़ी दर पीढ़ी शोषण करने का आधार बनाती है ।
समाज में जाति व्यवस्था लागू रहे इसके लिए इसको सम्मान से, गोत्र से, छूआछूत से, न जाने कितने तरह से बॉधा गया है ताकि इसको खत्म करने के बारे में कोई सोच न पाए ।
अलग अलग धर्मो के अन्दर भी जाति आधारित भेदभाव की व्यवस्था है । जिसमें कुछ जातियो को आज भी उनके धार्मिक स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं है ।
इस जाति व्यवस्था का परिणाम है कि आज सभी धर्मो की निचली जातियो के पास बहुत ही कम जमीन, सम्पत्ति है । यह केवल अपने श्रम को बेच कर ही अपना जीवन पालन करते है । यह काम योजना के तहत किया गया है । ऐसी व्यवस्था को तोड़ने की जरूरत है ।
ये जाति व्यवस्था सोची समझी राजनीति है । जातियो के ठेकेदार इसको समात्त नहीं करना चाहते हैं ताकि उनकी राजनीति चलती रहे है और वो इन लोगों का पीढ़ी दर पीढ़ी शोषण करते रहे ।
But it's ok
I'll translate
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jatiwad aaj bhi samanya logo ke liye ek bahut badi samasya hai. Yeh samasya sabse jayada gaon mein dikhai deti hai. Yeh samasya bhi hamera dwara peda ki gyi hai. Pehle logo ke kaam ke anusar unhe unki cast de di gyi jise aaj log jatiwad or achoot kah kar pukrane lag gaye.
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