Math, asked by kusumshona, 1 year ago

write 8 sentences on topic
meedhi vani
in hindiii​


vimlakshkhadse: ooo
vimlakshkhadse: HMMM
vimlakshkhadse: ma bhe computer use kart hu
Anonymous: change ur dp
Anonymous: for me
vimlakshkhadse: wt
Anonymous: dp
Anonymous: gadda
vimlakshkhadse: Dp too kay
Anonymous: ok

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Answered by vimlakshkhadse
1
इन दिनों मोबाइल, एफएम रेडियो या टीवी चैनलों की चौबीस घंटों की आवाज से आप ज्यादा रूबरू होते हैं। एंकर के लगातार बोलने से कभी-कभी आप हैरान-परेशान भी हो जाते हैं, जबकि स्वर कोकिला लता मंगेशकर के मधुर गीत हर किसी को सुकून ही देते हैं। लेकिन जब आप अपने आस-पास को ध्यान से देखते-सुनते हैं, तब पाते हैं कि प्रकृति की हर रचना जैसे-झरने का झरना, पौधों की सरसराहट, भौंरे की गुंजन, चिड़ियों का चहचहाने में एक मीठी आवाज है। ये आवाजें रोमांचित करती हैं और भीतर तक छू जाती हैं। बोलना अपने आप में एक कला है। जापानी विचारक रिह्यो ओकावा का मानना है कि ज्यादा बोलने से मन, मस्तिष्क और जीभ थक जाती हैं। इससे शक्ति का अपव्यय होता है और अशोभनीय मनोरंजन को आश्रय मिलता है। साथ ही, ज्यादा और लगातार बोलने से वाणी पर संयम रखना मुश्किल हो जाता है और उसकी मिठास कम हो जाती है। अथर्ववेद के अनुसार, मधुर वाणी मधु के समान होती है। मधुर वाणी से कान मधुर होंगे। कान से मन को शब्द-ज्ञान होता है। शब्द-ज्ञान मधुर होने से मन आनंदित हो उठता है। मन आनंदित हो जाए, तो आपका शरीर और रोम-रोम पुलकित हो जाएंगे। वास्तव में, मधुर बोलना अपनी ओर से सुख और मैत्री का विस्तार करना है। भगवान महावीर ने वाणी के संदर्भ में कहा है कि सोचकर बोलिए, सच बोलिए और कम बोलिए। हमारे संस्कारों में वाणी के संयम और मधुरता पर हमेशा से जोर दिया गया है। तभी तो यह कहा गया है कि ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होए। माना जाता है कि बोलने वाले नूपुर यानी घुंघरू को पैर में नीचे बांधा जाता है, जबकि शांत रहने वाले हार को गले में ऊपर पहना जाता है। इसलिए, अपनी वाणी में उत्साह पैदा कीजिए, गहराई पैदा कीजिए और आवाज धीमी करने का प्रयास कीजिए।☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆

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vimlakshkhadse: tnx
Answered by Anonymous
5

Hey Dear ... ✌️

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=) Meethi Vaani :-

1.) वाणी में इतनी शक्ति होती है कि कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है।

2.) मीठी वाणी का हर तरह की सफलता में योगदान रहता है, इसलिए मनुष्य को हमेशा मीठी वाणी बोलनी चाहिए।

=) हर व्यक्ति को बोलने का अधिकार है। हमारी वाणी जितनी मधुर होगी हम उतने ही सबके प्रिय होंगे। वाणी की मधुरता दिल के द्वार खोलने की चाबी है। कटु वाणी दूसरों को क्रोधित करती है परन्तु मधुर वाणी दूसरों को प्रसन्न करती है। हमारी वाणी ही हमारे चरित्र का परिचय देती है इसलिए हमारी वाणी किसी भी स्थिति में कटु नहीं होनी चाहिए। कभी गुस्से में , तो कभी अहंकार में हम कटु वाणी बोल कर दूसरों को कष्ट पहुँचाते है। जो हमें निर्बल बनाता है। कुछ लोग अहंकार के कारण वाणी का दुरूपयोग करते है जिससे झगड़े की शुरुआत होती है।

Hope , It Helps ... ❤️


vimlakshkhadse: hii
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