write a anuched on bhuchaal
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27 फरवरी 2002 की बात है, जब हमारे नगर में भूकंप जैसी आपदा का आगमन हुआ । मेरी जैसी छोटी उम्र के बालक के लिये ये भूचाल किसी प्रलय से कम नहीं था । ऐसा विचित्र अनुभव जीवन में पहली बार ही हुआ । 2 बजे के आस-पास जब रात मैं अपने कमरे में गहरी नींद में सो रहा था ।
पास वाले दूसरे कमरे में मेरे मम्मी-पापा तथा मेरी छोटी बहन सो रही थी । रात का सन्नाटा चारों ओर छाया हुआ था, क्योंकि ये सर्दियों की रात थी । कड़ाके की ठण्ड के कारण लोग जल्दी ही घरों को चले गये थे, किन्तु अचानक ही दरवाजे पर खिड़कियों के बजने का स्पष्ट स्वर सुनाई देने लगे । भयंकर गड़गड़ाहट हुई । चारों ओर चीत्कार मच गई । यह शायद भूचाल था । हम उठ खड़े हुए धरती काँप रही थी । बाहर कोलाहल था ।
मेरे पापा ने मुझे पुकारा और कमरे से बाहर निकलने के लिए कहा । हम मकान के बाहर निकल आए । दूसरे लोग भी घरों से बाहर आ गए थे, चारों ओर शोर मच रहा था । लोग एक-दूसरे को घरों से बाहर निकाल रहे थे । कुछ लोग तो घरों से अपना सामान भी निकाल रहे थे । भूचाल का कंपन तो कुछ मिनट ही चला, किन्तु लोग बुरी तरह आतंकित हो गए थे ।
पास वाले दूसरे कमरे में मेरे मम्मी-पापा तथा मेरी छोटी बहन सो रही थी । रात का सन्नाटा चारों ओर छाया हुआ था, क्योंकि ये सर्दियों की रात थी । कड़ाके की ठण्ड के कारण लोग जल्दी ही घरों को चले गये थे, किन्तु अचानक ही दरवाजे पर खिड़कियों के बजने का स्पष्ट स्वर सुनाई देने लगे । भयंकर गड़गड़ाहट हुई । चारों ओर चीत्कार मच गई । यह शायद भूचाल था । हम उठ खड़े हुए धरती काँप रही थी । बाहर कोलाहल था ।
मेरे पापा ने मुझे पुकारा और कमरे से बाहर निकलने के लिए कहा । हम मकान के बाहर निकल आए । दूसरे लोग भी घरों से बाहर आ गए थे, चारों ओर शोर मच रहा था । लोग एक-दूसरे को घरों से बाहर निकाल रहे थे । कुछ लोग तो घरों से अपना सामान भी निकाल रहे थे । भूचाल का कंपन तो कुछ मिनट ही चला, किन्तु लोग बुरी तरह आतंकित हो गए थे ।
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