Write a application for a friend in which modern educational system in hindi
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किसी देश का विकास उस देश की शिक्षा प्रणाली पर निर्भर होता है, क्योंकि देश की उन्नति के लिए हर व्यक्ति जिम्मेदार है और वो ही देश को अपने ज्ञान, संस्कार और अच्छे आचरण के जरिये देश को बुलंदियों पर पंहुचा सकता है! आज का शिक्षित वर्ग ही देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चला सकता है किन्तु अगर शिक्षा प्रणाली ही ठीक न हुई तो उस देश का भविष्य अंधकारमय हो सकता है, आज जरुरत है एक अच्छी शिक्षा प्रणाली की जिससे ज्ञानवान और एक अच्छे आचरण वाला व्यक्ति बन सके!
आजकल हर जगह शिक्षा प्रसार की नई-नई योजनाएं बन रही हैं। हमारी राष्ट्रीय सरकार इस बात की घोषणा कर चुकी है कि वह शीघ्र ही देश से निरक्षरता को मिटा देगी। परन्तु विचार यह करना है कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली कैसी है और वह किस प्रकार के जीवन का निर्माण कर रही है तथा हमारी शिक्षा वास्तव में कैसी होनी चाहिए।
आजकल हमारी शिक्षा की व्यवस्था वास्तव में बहुत दोषयुक्त हो गई है। इसको मिटाकर हमें ऐसी शिक्षा-दीक्षा का विधान करना होगा जो हमें स्वयं अपने ऊपर विजय प्राप्त कर सकने में समर्थ बना सके। ज्ञान का अन्तिम लक्ष्य चरित्र निर्माण ही होना चाहिये। जब तक शिक्षा के कुछ उद्देश्य निर्धारित नहीं होंगे तब तक शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो सकता है। इसलिए शिक्षा के कुछ उद्देश्य है:-
जनतांत्रिक नागरिकता का विकास- इस देश के जनतंत्र को सफल बनाने के लिए प्रत्येक बालक को सच्चा, ईमानदार तथा कर्मठ नागिरक बनाना परम आवश्यक है | अत: शिक्षा का परम उद्देश्य बालक को जनतांत्रिक नागरिकता की शिक्षा देना है | इसके लिए बालकों को स्वतंत्र तथा स्पष्ट रूप से चिन्तन करने एवं निर्णय लेने को योग्यता का विकास परम आवश्यक है, जिससे वे नागरिक के रूप में देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सभी प्रकार की समस्याओं पर स्वतंत्रतापूर्वक चिन्तन और मनन करके अपना निजी निर्माण लेते हुए स्पष्ट विचार व्यक्त कर सकें ।
आजकल हर जगह शिक्षा प्रसार की नई-नई योजनाएं बन रही हैं। हमारी राष्ट्रीय सरकार इस बात की घोषणा कर चुकी है कि वह शीघ्र ही देश से निरक्षरता को मिटा देगी। परन्तु विचार यह करना है कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली कैसी है और वह किस प्रकार के जीवन का निर्माण कर रही है तथा हमारी शिक्षा वास्तव में कैसी होनी चाहिए।
आजकल हमारी शिक्षा की व्यवस्था वास्तव में बहुत दोषयुक्त हो गई है। इसको मिटाकर हमें ऐसी शिक्षा-दीक्षा का विधान करना होगा जो हमें स्वयं अपने ऊपर विजय प्राप्त कर सकने में समर्थ बना सके। ज्ञान का अन्तिम लक्ष्य चरित्र निर्माण ही होना चाहिये। जब तक शिक्षा के कुछ उद्देश्य निर्धारित नहीं होंगे तब तक शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो सकता है। इसलिए शिक्षा के कुछ उद्देश्य है:-
जनतांत्रिक नागरिकता का विकास- इस देश के जनतंत्र को सफल बनाने के लिए प्रत्येक बालक को सच्चा, ईमानदार तथा कर्मठ नागिरक बनाना परम आवश्यक है | अत: शिक्षा का परम उद्देश्य बालक को जनतांत्रिक नागरिकता की शिक्षा देना है | इसके लिए बालकों को स्वतंत्र तथा स्पष्ट रूप से चिन्तन करने एवं निर्णय लेने को योग्यता का विकास परम आवश्यक है, जिससे वे नागरिक के रूप में देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सभी प्रकार की समस्याओं पर स्वतंत्रतापूर्वक चिन्तन और मनन करके अपना निजी निर्माण लेते हुए स्पष्ट विचार व्यक्त कर सकें ।
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