Write a biography of Maithilisharan Gupt in hindi about 100 words???
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. भूमिका:
जिस कवि की कविता किसी राष्ट्र के जन-जन की भावनाओं और समस्याओं का वर्णन करेगी, जिस कवि की कविता पढ़कर लोगों के विचार ऊँचे बनेंगे, जिसकी कविता लोगों को अपनी कविता जैसी लगेगी, उसी कवि को राष्ट्रकवि कहा जा सकता है । मैथिलीशरण गुप्तजी को इन्हीं कारणों से राष्ट्रकवि का सम्मान दिया गया ।
2. जन्म और शिक्षा:
मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म सन् 1886 ई. में झाँसी में चिरगाँव नामक स्थान पर हुआ । इनके पिता सेठ रामचरणजी धार्मिक विचारों के और कविता-प्रेमी व्यक्ति थे । उनके कविता प्रेम का प्रभाव मैथिलीशरण पर इतना अधिक पड़ा कि वे बचपन से ही कविता लिखने लगे ।
स्कूल की शिक्षा मैथिलीशरणजी को अच्छी नहीं लगी । इसलिए पिता ने उनके लिए घर पर पढ़ने-लिखने की व्यवस्था कर दी । संस्कृत, बगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन इन्होंने घर पर ही किया ।मैथिलीशरण गुप्तजी की पहली कविता की पुस्तक ‘रंग में भंग’ सन् 1910 में छपी और इसके बाद 1912 में ‘भारत-भारती’ का प्रकाशन हुआ । इस पुस्तक की चर्चा इतनी अधिक हुई कि गुप्तजी को राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित कर दिया गया ।
‘रंग में भंग’ तथा ‘भारत-भारती’ के बीच के समय में आपने ‘जयद्रथ-वध’ नामक काव्य भी लिखा था । गुप्तजी की रचनाएँ अधिकतर रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास की कहानियों पर आधारित हैं । इनमें तिलोत्तमा, चन्द्रहास, किसान, वैतालिक आदि रचनाएँ 1920 तक प्रकाशित हो चुकी थीं ।
इसके बाद उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में पंचवटी, त्रिपथगा, शक्ति, गुरुकुल आदि प्रमुख हैं । गुप्तजी की सबसे उत्तम रचना 1932 में प्रकाशित ‘साकेत’ मानी जाती है जिसमें लक्ष्मण और उनकी पत्नी उर्मिला की बातचीत का बड़ा सुन्दर वर्णन है ।
मैथिलीशरण गुप्तजी की पहली कविता की पुस्तक ‘रंग में भंग’ सन् 1910 में छपी और इसके बाद 1912 में ‘भारत-भारती’ का प्रकाशन हुआ । इस पुस्तक की चर्चा इतनी अधिक हुई कि गुप्तजी को राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित कर दिया गया ।
‘रंग में भंग’ तथा ‘भारत-भारती’ के बीच के समय में आपने ‘जयद्रथ-वध’ नामक काव्य भी लिखा था । गुप्तजी की रचनाएँ अधिकतर रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास की कहानियों पर आधारित हैं । इनमें तिलोत्तमा, चन्द्रहास, किसान, वैतालिक आदि रचनाएँ 1920 तक प्रकाशित हो चुकी थीं ।
इसके बाद उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में पंचवटी, त्रिपथगा, शक्ति, गुरुकुल आदि प्रमुख हैं । गुप्तजी की सबसे उत्तम रचना 1932 में प्रकाशित ‘साकेत’ मानी जाती है जिसमें लक्ष्मण और उनकी पत्नी उर्मिला की बातचीत का बड़ा सुन्दर वर्णन है ।
Thanks
Hope this will be helpful for you... Please mark as brilliant answer if u like my answer....
;-))
जिस कवि की कविता किसी राष्ट्र के जन-जन की भावनाओं और समस्याओं का वर्णन करेगी, जिस कवि की कविता पढ़कर लोगों के विचार ऊँचे बनेंगे, जिसकी कविता लोगों को अपनी कविता जैसी लगेगी, उसी कवि को राष्ट्रकवि कहा जा सकता है । मैथिलीशरण गुप्तजी को इन्हीं कारणों से राष्ट्रकवि का सम्मान दिया गया ।
2. जन्म और शिक्षा:
मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म सन् 1886 ई. में झाँसी में चिरगाँव नामक स्थान पर हुआ । इनके पिता सेठ रामचरणजी धार्मिक विचारों के और कविता-प्रेमी व्यक्ति थे । उनके कविता प्रेम का प्रभाव मैथिलीशरण पर इतना अधिक पड़ा कि वे बचपन से ही कविता लिखने लगे ।
स्कूल की शिक्षा मैथिलीशरणजी को अच्छी नहीं लगी । इसलिए पिता ने उनके लिए घर पर पढ़ने-लिखने की व्यवस्था कर दी । संस्कृत, बगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का अध्ययन इन्होंने घर पर ही किया ।मैथिलीशरण गुप्तजी की पहली कविता की पुस्तक ‘रंग में भंग’ सन् 1910 में छपी और इसके बाद 1912 में ‘भारत-भारती’ का प्रकाशन हुआ । इस पुस्तक की चर्चा इतनी अधिक हुई कि गुप्तजी को राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित कर दिया गया ।
‘रंग में भंग’ तथा ‘भारत-भारती’ के बीच के समय में आपने ‘जयद्रथ-वध’ नामक काव्य भी लिखा था । गुप्तजी की रचनाएँ अधिकतर रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास की कहानियों पर आधारित हैं । इनमें तिलोत्तमा, चन्द्रहास, किसान, वैतालिक आदि रचनाएँ 1920 तक प्रकाशित हो चुकी थीं ।
इसके बाद उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में पंचवटी, त्रिपथगा, शक्ति, गुरुकुल आदि प्रमुख हैं । गुप्तजी की सबसे उत्तम रचना 1932 में प्रकाशित ‘साकेत’ मानी जाती है जिसमें लक्ष्मण और उनकी पत्नी उर्मिला की बातचीत का बड़ा सुन्दर वर्णन है ।
मैथिलीशरण गुप्तजी की पहली कविता की पुस्तक ‘रंग में भंग’ सन् 1910 में छपी और इसके बाद 1912 में ‘भारत-भारती’ का प्रकाशन हुआ । इस पुस्तक की चर्चा इतनी अधिक हुई कि गुप्तजी को राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित कर दिया गया ।
‘रंग में भंग’ तथा ‘भारत-भारती’ के बीच के समय में आपने ‘जयद्रथ-वध’ नामक काव्य भी लिखा था । गुप्तजी की रचनाएँ अधिकतर रामायण, महाभारत और भारतीय इतिहास की कहानियों पर आधारित हैं । इनमें तिलोत्तमा, चन्द्रहास, किसान, वैतालिक आदि रचनाएँ 1920 तक प्रकाशित हो चुकी थीं ।
इसके बाद उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में पंचवटी, त्रिपथगा, शक्ति, गुरुकुल आदि प्रमुख हैं । गुप्तजी की सबसे उत्तम रचना 1932 में प्रकाशित ‘साकेत’ मानी जाती है जिसमें लक्ष्मण और उनकी पत्नी उर्मिला की बातचीत का बड़ा सुन्दर वर्णन है ।
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मैथलीशरण गुप्त भारत के प्रसिद्ध और आधुनिक हिंदी कवियों में से एक है। खरी बोली की कविताओ को लिखने और खरी बोली को उपभाषा मानने वाले वे पहले कवि थे, उन्होंने ये सब उस समय में किया था जिस समय में हिंदी कवि ज्यादातर ब्रज भाषा का उपयोग उपभाषा के रूप में करते थे।
इसके साथ ही वे भारत के तीसरे सर्वोच्च अवार्ड पद्म भूषण से भी नवाजे जा चुके है। उनकी किताब भारत-भारती (1912) आज़ादी के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी, और इसी वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें राष्कवि की पदवी भी दी थी।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के झाँसी के चिरगाँव में गहोई समुदाय के कंकणे वंश में एक समृद्ध ज़मीनदार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माँ का नाम काशीबाई था।
बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल जाना पसंद नही था, इसीलिए उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ाने का इंतजाम कर रखा था। बाल्यावस्था में संस्कृत, इंग्लिश और बंगाली का अभ्यास किया था। उस समय महावीर प्रसाद द्विवेदी उनके विश्वसनीय सलाहकार थे।
धन्यवाद!!!!!!!
इसके साथ ही वे भारत के तीसरे सर्वोच्च अवार्ड पद्म भूषण से भी नवाजे जा चुके है। उनकी किताब भारत-भारती (1912) आज़ादी के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी, और इसी वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें राष्कवि की पदवी भी दी थी।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के झाँसी के चिरगाँव में गहोई समुदाय के कंकणे वंश में एक समृद्ध ज़मीनदार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माँ का नाम काशीबाई था।
बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल जाना पसंद नही था, इसीलिए उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ाने का इंतजाम कर रखा था। बाल्यावस्था में संस्कृत, इंग्लिश और बंगाली का अभ्यास किया था। उस समय महावीर प्रसाद द्विवेदी उनके विश्वसनीय सलाहकार थे।
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