Write a Chitra on your grandparents in hindi
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मेरे दादा-दादी बहुत प्यारे, देखभाल करने वाले, परिपक्व और धैर्यवान हैं। मेरे दादा-दादी ने हमेशा मुझे सिखाया है कि सभी लोगों के साथ, विशेष रूप से अपने बड़ों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करें। उन्होंने मुझे सिखाया कि सम्मानजनक और फलदायी जीवन कैसे जिया जाए। वे अपना सारा अनुभव मेरे साथ साझा करते हैं कि उन्होंने क्या किया था और उन्हें क्या आनंद मिला था|
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Question:- Write a speech on your grandparents in hindi:-⤵
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वे लोग बेहद खुशनसीब होते हैं जिन्हें अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ रहने का मौका मिलता है और उनके अंदर न सिर्फ अच्छे संस्कार विकसित होते हैं बल्कि उन्हें अपार प्यार और स्नेह भी मिलता है। दादी-दादी घर से सबसे बड़े, आदरणीय और सम्मानीय सदस्य होते हैं, जिनके फैसले परिवार के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। वहीं दादा-दादी का अपने नाती-पोतें के साथ एक अलग रिश्ता होता है।
घर के सारे सदस्यों का प्यार एकतरफ और दादा-दादी का प्यार एक तरफ होता है। दादा-दादी न सिर्फ मम्मी-पापा के डांट देने पर अपने प्यार-दुलार से बच्चों का मूड सही कर देते हैं बल्कि उन्हें प्यारी-प्यारी परियों की कहानियां सुनाकर उनके बचपन को और भी ज्यादा हसीन बना देते हैं।
दादा-दादी और पोता-पोती का अटूट बंधन और मजबूत रिश्ते पर कई बार प्रतियोगी परीक्षा अथवा निबंध प्रतियोगिता पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट में अलग-अलग शब्द सीमा पर दादा-दादी के विषय पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –
दादा-दादी, नाना-नानी घर से सबसे बड़े एवं सम्मानीय सदस्य होते हैं। इसलिए घर के सभी लोगों के मन में इनके लिए अलग भावना होती है और सब इनका आदर करते हैं। घर से हर काम को इनकी सलाह से पूरा किया जाता है, क्योंकि इनके घर के लिए गए हर फैसले अहम होते हैं, इन्हें दुनिया का काफी अच्छा तुर्जुबा होता है और लोगों की बेहतर पहचान होती है।
इसलिए वे अपने अनुभव और तर्जुबे को अपने बच्चों को पोता – पोता से सांझा करते हैं और उन्हें दुनिया के बारे में मुखातिब करवाते हैं और उन्हें सही सलाह देकर सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं।
इसके साथ ही घर में अनुशासन को बनाए रखने के लिए प्रेरणा देते हैं और अनुशासन के महत्व को अपने पोता-पोती को बताते हैं।
वहीं जब माता-पिता अपने कामों में व्यस्त रहते हैं तो दादा-दादी ही होते हैं जो पोता-पोती को भरपूर समय देते हैं और उनके अंदर अच्छे संस्कारों का विकास करते हैं साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के महत्व को बताते हैं और उनके अंदर नैतिक मूल्यों एवं कर्तव्यों की भावना का विकास करने में उनकी मद्द करते हैं।
जो बच्चे अपने दादा-दादी के संपर्क में रहते हैं उनके अंदर रिश्तों की अहमियत और प्रेम, सम्मान की भावना कूट-कूट कर भरी होती है, क्योंकि दादा-दादी बच्चों को सभी से प्रेम करने और रिश्तों के महत्व को बेहद अच्छे तरह से समझाते हैं।
दादा-दादी, घर की रौनक होते हैं और अपने पोता – पोती को उनके माता-पिता से भी ज्यादा प्यार करते हैं और उन्हें अच्छी कहानियां सुनाकर उनके बचपन को और भी ज्यादा बेहतर बनाते हैं।
वहीं आज की युवा पीढ़ी सुंयुक्त परिवार में रहना नहीं पसंद करती है, सेपरेट परिवार में रहना एक ट्रेंड सा बनता जा रहा है। जिसके चलते आज के बच्चों को दादा-दादी और नाना – नानी का प्यार नहीं मिल पाता है।
वहीं इस बात को हर माता-पिता को जरूर समझना चाहिए और अपने बच्चों को दादा-दादी के पास रहने का मौका देना चाहिए ताकि उन्हें दादा-दादी का भरपूक प्यार मिल सके, क्योंकि दादा-दादी के प्यार के बिना बचपन अधूरा होता है।
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