Write a conversation between eagle and snake in hindi
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बाज और सांप के बीच संवाद
पर्वतों के बीच में अँधेरी घाटियों में एक नदी भी बहती थी। वह नदी अपने रास्ते पर बिखरे पत्थरों को तोड़़ती हुई, शोर मचाती हुई अपने तेज़ वेग के साथ समुद्र की ओर बहती जाती थी। समुद्र के किनारे स्थित गुफा में एक साँप रहता था। साँप अपने जीवन से बहुत सुखी था क्योंकि उसका किसी से कोई मतलब नहीं था, न ही किसी से कुछ लेना था, न ही किसी को कुछ देना था। दुनिया की भाग-दौड़ से वह बहुत दूर रहता था।
एक दिन एकाएक आकाश में उड़ता हुआ खून से लथपथ एक बाज साँप की उस गुफा में आ गिरा। उसने एक दर्द भरी चीख मारी और पंखों को फड़फड़ाता हुआ धरती पर लोटने लगा। डर से साँप अपने कोने में सिकुड गया। किंतु दूसरे ही क्षण उसने भाँप लिया कि बाज जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा है और उससे डरना बेकार है। यह सोचकर उसकी हिम्मत बँधी और वह रेंगता हुआ उस घायल पक्षी के पास जा पहुँचा।
सांप उसकी तरफ कुछ देर तक देखता रहा, फिर खुश होकर बोला “क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली?’’ बाज ने एक लंबी आह भरते हुए कहा कि “ऐसा ही दिखता है कि आखिरी घड़ी आ पहुँची है लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं है। मेरी जिंदगी भी खूब रही भाई, जी भरकर उसे भोगा है। जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भोगा हो। तुम्हारा बड़ा दुर्भाग्य है कि तुम जिंदगी भर आकाश में उड़ने का आनंद कभी नहीं उठा पाओगे।’’
साँप बोला- ’’आकाश! आकाश को लेकर क्या मैं चाटूँगा! आकाश में आखिर रखा क्या है? क्या मैं तुम्हारे आकाश में रेंग सकता हूँ। ना भाई, तुम्हारा आकाश तुम्हें ही मुबारक, मेरे लिए तो यह गुफा भली। इतनी आरामदेह और सुरक्षित जगह और कहाँ होगी?’’
अचानक बाज ने अपना झुका हुआ सिर ऊपर उठाया और उसकी दृष्टि साँप की गुफा के चारों ओर घूमने लगी। सीलन और अँधेरे में डूबी गुफा में एक भयानक दुर्गंध फैली हुई थी। बाज के मुँह से एक बड़ी जोर की करुण चीख फूट पड़ी – ’’आह! काश, मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड़ पाता।’’
बाज की ऐसी करुण चीख सनुकर साँप कुछ सिटपिटा-सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई जिसके वियोग में बाज इतना व्याकुल होकर छटपटा रहा था। उसने बाज से कहा- ’’यदि तुम्हें स्वतंत्रता इतनी प्यारी है तो इस चटृान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाने की कोशिश करते। हो सकता है कि तुम्हारे पैरों में अभी इतनी ताकत बाकी हो कि तुम आकाश में उड़ सको। कोशिश करने में क्या हर्ज है?’
बाज में एक नयी आशा जग उठी। वह दूने उत्साह से अपने घायल शरीर को घसीटता हुआ चट्टान के किनारे तक खींच लाया। उसने एक गहरी, लंबी साँस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।किंतु उसके टूटे पंखों में इतनी शक्ति नहीं थी कि उसके शरीर का बोझ सँभाल सकें। पत्थर-सा उसका शरीर लुढ़कता हुआ नदी में जा गिरा।
उसके थके-माँदे शरीर को सफ़ेद फेन से ढ़क दिया, फिर अपनी गोद में समेटकर उसे अपने साथ सागर की ओर ले चली। धीरे-धीरे समुद्र के असीम विस्तार में बाज आँखों से ओझल हो गया।चट्टान की खोखल में बैठा हुआ साँप बड़ी देर तक बाज की मृत्यु और आकाश के लिए उसके प्रेम के विषय में सोचता रहा।
वह खुद तो मर गया लेकिन मेरे दिल का चैन अपने साथ ले गया। न जाने आकाश में क्या खजाना रखा है? एक बार तो मैं भी वहाँ जाकर उसके रहस्य का पता लगाऊँगा चाहे कुछ देर के लिए ही हो। कम से कम उस आकाश का स्वाद तो चख लूँगा।’’यह कहकर साँप ने अपने शरीर को सिकोड़ा और आगे रेंगकर अपने को आकाश की शून्यता में छोड़ दिया।
किंतु जिसने जीवन भर रेंगना सीखा था, वह भला क्या उड़ पाता? नीचे छोटी-छोटी चट्टानों पर धप्प से साँप जा गिरा। ईश्वर की कृपा से बेचारा बच गया, नहीं तो मरने में क्या कसर बाकी रही थी।
साँप हँसते हुए कहने लगा- “सो उड़ने का यही आनंद है- भर पाया मैं तो! पक्षी भी कितने मूर्ख हैं। धरती के सुख से अनजान रहकर आकाश की ऊँचाइयों को नापना चाहते थे। किंतु अब मैंने जान लिया कि आकाश में कुछ नहीं रखा।
उसीकी बातों में आकर मैं आकाश में कूदा था। ईश्वर भला करे, मरते-मरते बच गया। अब तो मेरी यह बात और भी पक्की हो गई है कि अपनी खोखल से बड़ा सुख और कहीं नहीं है। धरती पर रेंग लेता हूँ, मेरे लिए यह बहुत कुछ है। मुझे आकाश की स्वच्छंदता से क्या लेना-देना?
किंतु कुछ देर बाद सापँ के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। उसने सुना, चट्टानों के नीचे से एक मधुर, रहस्यमय गीत की आवाज़ उठ रही है। पहले उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। किंतु कुछ देर बाद गीत के स्वर अधिक साफ़ सुनाई देने लगे। वह अपनी गुफा से बाहर आया और चट्टान से नीचे झाँकने लगा। सूरज की सुनहरी किरणों में समुद्र का नीला जल झिलमिला रहा था। चट्टानों को भिगोती हुई समुद्र की लहरों में गीत के स्वर फूट रहे थे।
साँप ने सुना, लहरें मधुर स्वर में गा रही हैं। हमारा यह गीत उन साहसी लोगों के लिए है जो अपने प्राणों को हथेली पर रखे हुए घूमते हैं। चतुर वही है जो प्राणों की बाजी लगाकर जिंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना करे। ओ निडर बाज! शत्रुओं से लड़ते हुए तुमने अपना कीमती रक्त बहाया है। पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
Answer:
बाज की चोंच में दबा हुआ साँप उड़ते हुए बाज से कहता है -
साँप : " देखो बाज भाई, अभी तुम मुझे खाओंगे तो क्या तुम्हारी हमेशा की भूख शांत हो जाएगी ?"
बाज : "ऐसा थोड़े ही होता हैं भूख तो रोज लगती है |"मैं हर रोज शिकार करता हूँ |"
साँप : "तुम्हें इसकी जरूरत नहीं पडेंगी |" मै तुम्हे एक उपाय बताता हूँ |"
बाज : "कौन -सा ?''
साँप : "मैं तुम्हें एक खजाने का पता बताता हूँ |"
बाज : "उससे मेरी भूख का क्या सम्बन्ध ?"
साँप : "सम्बन्ध हैं तभी तो बता रहा हूँ | तुम इस खजाने का पता उस किसान को बता देना जो तुम्हारे घोसलें के निकट पेड़ों की झुरमुट में कुटिया (झोपड़ी) बनाकर रहता है |
बाज : "अच्छा !"इससे क्या होगा ?"
साँप : "वो तुम्हें पाल लेंगा और रोज वही तुम्हें तुम्हारी पसंद के आहार भी प्रदान करेगा |"
बाज : "ये तो तुमने अच्छी युक्ति सुझाई |"
साँप : "तो चलो मैं तुम्हें खजाना दिखा देता हूँ मगर एक शर्त पर, तुम मुझे जीवनदान दोंगे |"
बाज : "हाँ भाई पक्का |"
साँप :"वादा?''
बाज : "पक्का वादा |"
(दोनो अपना -अपना वादा निभाते हैं |)