Hindi, asked by prashantkumar47, 1 year ago

write a essay on hindi of topic SAHANSHILTA​

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Answered by shinchan8796
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सहनशीलता एक ऐसा सत्य है, जिससे प्राय: सभी लोगों को अपने जीवनकाल में रू-ब-रू होना पड़ता है। सहनशील होना एक गुण है, जिससे जीवन का वास्तविक विकास होता है। आज हमारे जीवन में दुख और तनाव हावी हैं। इसका परिणाम यह है कि हम थोड़े से कष्टों से शीघ्र घबरा जाते हैं, क्रोधित हो जाते हैं।संत कबीर एक ऐसे संत थे, जो प्राय: शांत और सहनशील बने रहते थे। उनके जमाने में विरोधियों की कमी नहीं थी, लेकिन अपनी बातों को डंके की चोट पर कहनेवाला, पूरी पुरातनपंथी व्यवस्था को निर्थक करार देने वाला और सगुण उपासना का खंडन कर निर्गुण का प्रचार-प्रसार करने वाला कबीर जैसा व्यक्ति कितना सहनशील रहा होगा। इस बात की आप कल्पना कर सकते हैं। जिसने कभी किसी से लड़ाई-झगड़ा, मार-पीट, गाली-गलौज नहीं की, बल्कि शुद्ध व पवित्र मन से साधना करते हुए संत कबीर ने अपना मत केवल सहनशीलता के बलबूते फैलाया। यदि कबीर सहनशील न बने होते, तो आज भक्तों, संतों एवं कवियों की परंपरा में नहीं रह पाते। इस तरह यह मानना पड़ेगा कि जीवन में सहनशीलता का कितना बड़ा महत्व है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सादगी से भरा जीवन बहुत ही सहनशील था। वह प्राय: अपने प्रत्येक कार्य और व्यवहार में सहनशील बने रहते थे। उनका प्रत्येक कार्य रूटीन के मुताबिक चलता था। समय के बेहद पाबंद थे और अपने मन, वचन व कर्म से कभी किसी को कष्ट देना पसंद नहीं करते थे। इसीलिए वे अपने जीवन में प्राय: सफल रहे थे। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सहनशील बनें ताकि हमारे कर्म और व्यवहार से किसी को कोई कष्ट न हो।सहनशीलता का गुण अभ्यास से सीखा जा सकता है। प्रत्येक कार्य करने की योजना एक सुनिश्चित ढंग से बनाने और उस पर अमल करने से ही सही दिशा में बदलाव संभव है। अच्छे लोगों की संगति, चिंतन व विचारों को शुद्ध बनाए रखने से समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। सहनशीलता का गुण आ जाने से दोस्तों और पड़ोसियों के बीच आदर होता है। जल्दी तनाव या क्रोध नहीं आ पाता। इसलिए सहनशील बने रहकर निज लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए।

Answered by Adityaboy
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Answer:

भारतीय संस्कारों में सहनशीलता को बहुत महत्व दिया गया है। वास्तव में सहनशीलता मनुष्य का आभूषण है। सहनशील व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके उलट अगर किसी व्यक्ति में सहनशीलता का अभाव है तो उसे कई बार अप्रिय स्थितियों से भी गुजरता पड़ जाता है। सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति में क्रोध पैदा होता है और क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। क्रोधी व्यक्ति अक्सर अपना ही नुकसान कर बैठता है। दैनिक जागरण संस्कारशाला अभियान के माध्यम से सहनशीलता विषय पर विशेषज्ञों के माध्यम से बच्चों में भारतीय संस्कारों के गुणों के महत्व से रूबरू कराने के साथ ही सीनियर छात्र-छात्राओं से भी उनके विचार जानने का प्रयास किया गया है।

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