write a essay on peacock national bird of India in hindi
write nice lines and 200 to 250 lines
Answers
मोर एक ऐसा जीव है जो अपनी सुन्दरता और अपने तेज के लिए जाना जाता है यह हमारे देश का राषट्रपची भी है यह जब बारिश में नाचता है तो हम सब इससे निहारने लगते हैं यह वेह जीव है जिससे हमें बच्चपन से कई कहानियां सुनने को मिलती रही है जब हम छोटे थे तब हमेशा एक बार मोर को नाचते हुए देखना चाहते थे ।
.........(PLZ MARK AS BRAINLIEST)........
Answer:
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी 26 जनवरी 1963 में घोषित किया गया था क्योंकि मोर भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है और यह देखने में भी बहुत सुंदर है साथ ही इसकी भारतीय परंपराओं और संस्कृति में इसकी झलक दिखाई देती है. मोर देखने में इतना सुंदर है कि कोई भी इसको एक बार देख ले तो इसकी सुंदरता पर मोहित हो जाता है.
मोर की अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन सबसे सुंदर प्रजाति भारत में ही पाई जाती है. मोर पक्षियों में सबसे बड़ा पक्षी है और साथ ही यह वजन में भी सबसे भारी है. मोर का मुंह छोटा होता है लेकिन शरीर बहुत बड़ा होता है। मोर की गर्दन सुराही की तरह पतली और लंबी होती है.
मोर ज्यादातर शुष्क क्षेत्रों में ही रहना पसंद करता है इसलिए यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में बहुतायत में पाया जाता है. मोर मौसम और वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल सकता है इसीलिए बर्फीले और पहाड़ी क्षेत्रों में भी बड़ी ही सहजता से अपना जीवन यापन करता है.
मोर का वजन 5 से 10 किलो का होता है. यह सुंदर होने के साथ-साथ चतुर, सतर्क और शर्मीले स्वभाव का होता है यह ज्यादातर अकेले रहना ही पसंद करता है यह हमेशा इंसानों से एक निश्चित दूरी बनाए रखता है. उसके पैरों का रंग मटमैले सफेद रंग का होता है और इसके पंजे तीखे और नुकीले होते है.
इसके शरीर का रंग नीले और बैंगनी रंग से मिलकर बना होता है जो की बहुत ही चमकीला होता है. गर्दन के इस नीले रंग के कारण मोर को नीलकंठ भी कहा जाता है. इसकी आंखें छोटी और काले रंग की होती है. इसके सिर पर छोटे-छोटे पंखों का आधे चांद के आकार का ताज बना होता है
इसीलिए इसे पक्षियों का राजा भी कहा जाता है. मोर ज्यादातर हरियाली वाले क्षेत्र और खेतों में ही पाया जाता है और यह पानी के निश्चित स्त्रोत के पास अक्सर नजर आता है इसलिए यह भारतीय गांव में ज्यादा देखा जाता है. मोर किसानों का अच्छा दोस्त भी होता है क्योंकि यह फसलों में लगने वाले कीट-पतंगों को खा जाता है.
मोर का जीवनकाल 15 से 25 वर्ष का होता है इसके पंखों की लंबाई करीब 1 मीटर से भी ज्यादा होती है. मोर के लगभग 200 पंख होते हैं जिनके अंत में चांद के आकार की आकृति बनी हुई होती है जिसमें सतरंगी रंग भरे हुए होते है. इसके पंख खोखले होते हैं जिनको पुराने जमाने में स्याही में डुबोकर लिखने के काम में भी लिया जाता था. इसके पंख कितने कोमल होते हैं जैसे कि कोई मखमल का कपड़ा हो.
यह सामान्यत: ऊंचे पेड़ों की शाखाओं पर जैसे पीपल, बरगद, नीम पर ही बैठते है यह समूह में रहने वाला पक्षी है. मोर का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि मोर के पंख को भगवान श्री कृष्ण ने अपने सिर पर धारण किया हुआ है और मोर भगवान शिव के बेटे कार्तिक का वाहन भी है.
मुगल सम्राट शाहजहां ने मोर की सुंदरता से प्रभावित होकर मोर के पंखों की तरह ही सिहासन बनाने का आदेश दिया था यह सिहासन बनने में कुल 6 साल लगे इसमें देश और विदेश से लाकर बहुमूल्य रतन जड़े गए थे. सिहासन को तख्त ए ताऊस नाम दिया गया.
इसके हर साल नए पंख आते हैं और पुराने पंख झड़ जाते हैं उसके पंखों का उपयोग सजावटी गुलदस्तों, गर्मियों में हवा खाने के लिए हाथ पंखे बनाए जाते है और आजकल तो इसका उपयोग तरह-तरह की मॉडर्न डिज़ाइनों में भी उपयोग किया जाता है इसके साथ ही इसके पंखों से कुछ जड़ी बूटियां भी बनाई जाती है जिसके कारण इनके पंखों की बाजार में मांग रहती है.
इसीलिए लोग इनका शिकार करने लगे और धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने लगी तब भारत सरकार ने मोर को संरक्षण देते हुए वन्य अधिनियम 1972 के तहत इसके शिकार पर रोक लगा दी अब अगर कोई शिकार करता है तो उसको जुर्माने के साथ कठोर कारावास की सजा होती है. लेकिन आज भी इस पक्षी का शिकार किया जाता है इस पर सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
मोर नर होता है जबकि मोरनी मादा होती है मोरनी दिखने में इतनी सुंदर नहीं होती है उसके बड़े-बड़े पंख भी नहीं होते हैं मोरनी के पंख छोटे होते हैं और उनका रंग भूरा घुसर होता है. यह शरीर में भी मोर से छोटी होती है. मोरनी के गर्दन का थोड़ा सा हिस्सा हरे रंग का पाया जाता है. मोरनी हर साल दो बार 4 से 5 अंडे देती है जिनमें से एक या दो ही सही सलामत रह पाते है.
भारत में जब मानसून आता है तो मोर बहुत खुश होता है और वह खुश होकर अपने पंखों को फैलाकर धीमी गति से नाचता है जो कि देखने में बहुत ही सुंदर लगता है साथ ही जल्दी से मादा मोरनी को खुश करना होता है तो यह उसके सामने पंख फैलाकर नाचता है यह नृत्य करते समय नाचने में इतना मगन हो जाता है कि उसे आसपास क्या हो रहा है इसका पता नहीं रहता है और शिकारी इसी का फायदा उठाकर मोर को पकड़ लेते है.
मोर पक्षी इतना सतर्क होता है जी जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो उसका उसे पहले ही पता चल जाता है और वह तेज आवाज में आवाज करके सभी पक्षियों और लोगों को इस बारे में सूचित कर देता है आपने देखा होगा भी कई बार भूकंप आने से पहले और तेज आवाज में बोलने लग जाता है.
मोर पक्षी चतुर भी होता है वह रात को या फिर उसे जब भी खतरा महसूस होने पर वह पेड़ों की ऊंची शाखाओं पर जाकर बैठ जाता है जिसे शिकारी उसका शिकार नहीं कर पाते है.
मोर पर कवियों द्वारा कविताओं के माध्यम से इसकी सुंदरता का जिक्र किया गया है और साथ ही भारत की पुरानी संस्कृति में इसकी झलक दिखाई देती है
मोर हमारे भारत देश की आन-बान और शान है कृपया इसका शिकार होने से बचाएं क्योंकि दिन-प्रतिदिन इनकी संख्या कम होती जा रही है इसलिए लोगों को मोर के महत्व के बारे में आप लोग अवगत कराएं.
Explanation:
pls mark as brainliest