CBSE BOARD XII, asked by yvhgygu, 6 months ago

write a essay on साक्षर ka matva in hindi language​

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Answered by Anonymous
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भारत को गांव का देश कहा जाता है।हमारे देश में अधिकतर लोग गांव में रहते हैं। इनमें किसान और मजदूरों की संख्या बहुत अधिक है।निरक्षर लोगों में सबसे अधिक संख्या इन्हीं की है।और सबसे ज्यादा शोषण का शिकार भी निरक्षर व्यक्ति ही होता है।

चालक व्यापारी , चतुर व कुटिल नेता व सरकारी अधिकारी सभी इनका लाभ उठाते हैं।यदि देश के सभी नागरिक पढ़ लिख कर साक्षर हो जाय तो , वो इन बुरे लोगों के बनाये जाल में फंसने से बच जाएंगे।

साक्षर लोग ही केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लिए गए हर फैसले को अच्छे से समझ पाएंगे। और सरकार द्वारा उनके लिए चलाई गई योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे। 

सरकार द्वारा किये गए हर अच्छे काम में सरकार का सहयोग करेगें। और साथ ही सरकार की गलत नीतियों का विरोध भी कर सकेंगे।

लोकतंत्र में चुनाव बहुत अहम होते हैं। और एक अच्छा प्रत्याशी चुनना भी कठिन कार्य है। लेकिन एक साक्षर व्यक्ति अपने वोट की कीमत समझते हुए चुनाव के वक्त सही प्रत्याशी को ही चुनेगा। ताकि वह प्रत्याशी उसके और उसके समाज की तरक्की में सहायक हो सके।सरकार द्वारा चलाई गई हर योजना का लाभ उन तक पहुंचा सके। 

शिक्षित व्यक्ति अगर खेती भी करेगा तो वह खेती को भी वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर करेगा।आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग कर अधिक अनाज की पैदावार कर सकेगा।और साथ ही साथ अपने गांव के विकास में भी अपना सक्रिय योगदान दे सकेगा। 

एक शिक्षित महिला अपने बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षित कर सकती हैं।साथ ही साथ रोजगार या नौकरी कर अपने परिवार को आर्थिक लाभ भी पहुंचा सकती हैं। जिससे परिवार के साथ समाज का भी भला होगा। 

Answered by Anonymous
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पुराना समय साधारण और सरल था। तब न तो जीवन इतना गतिशील था और न ही जीवन जीने के साधन इतने जटिल थे। जरूरत बहुत सीमित थीं। दो जून की रोटी कमाकर व्यक्ति चैन की नींद सो जाता था।

अब इच्छाओं और आकांक्षाओं ने आकाश की सीमाओं को चुनौती दी है। ऐसे में एक व्यक्ति का पढ़ने लिखने से वंचित रह जाना एक अभिशाप है। अनपढ़ व्यक्ति न तो तेज रफतार युग के साथ चल पायेगा और न उसकी सोच की सीमा विस्तृत होगी।

साक्षरता मानव की प्रगति और विकास का मूल मंत्र है। अनपढ़ और निरक्षर व्यक्ति अपना ही भला नहीं कर सकता तो समाज और राष्ट्र के किस काम आयेगा। स्वतंत्रता प्राप्त करने से पूर्व हमारे देश की जनसंख्या में अनपढ़ लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। किन्तु सरकार के अथक प्रयासों से आज समाज, हर व्यक्ति को शिक्षित करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।

घर घर और गांव गांव शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा रहा है जिससे हर व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में उन्नति हो। वह अंगूठा छाप न रहे, उसे कोई ठग न सके। हर वर्ग का व्यक्ति अपनी अच्छाई बुराई समझे और अपनी दैनिक जीवनचर्या में सूझ बूझ के साथ फैसले ले। उसकी दृष्टि का विस्तार हो। उसे अंधविश्वासों और शोषण से मुक्ति मिले।

शिक्षा एक वरदान है, तो निरक्षरता एक अभिशाप है। आज चल विद्यालयों, निःशुल्क शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा एवं स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित कर हमारे देश के कई राज्यों में 100 प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया गया है। किन्तु इस क्षेत्र में अभी बहुत अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। वह दिन कितना महत्वपूर्ण होगा जब हर भारतीय शिक्षित होगा। हम सबको इस दिशा में भरपूर सहयोग देना चाहिए।

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