write a essay on साक्षर ka matva in hindi language
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साक्षरता का अर्थ है- पढ़ने लिखने की योग्यता जबकि अक्षरों का ज्ञान न होना निरक्षता कहलाता है।
पुराना समय साधारण और सरल था। तब न तो जीवन इतना गतिशील था और न ही जीवन जीने के साधन इतने जटिल थे। जरूरत बहुत सीमित थीं। दो जून की रोटी कमाकर व्यक्ति चैन की नींद सो जाता था।
अर्थात अक्षर-ज्ञान पाकर अपना काम तो सभी चला ही सकते हैं। इतना पढऩा-लिखना सीखना तो आज हर आदमी के लिए बहुत ही जरूरी हो गया है। व्यक्ति अपने पत्र आदि स्वंय पढ़-लिख सके, कहीं अंगूठा लगाने या हस्ताक्षर करने से पहले यह जान सके कि ऐसा सब क्यों और किसलिए कर रहा है, यदि कर रहा है तो उसके भविष्य के लिए वह सब उचित है या अनुचित जैसी सामान्य जानकारियों के लिए साक्षर होना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक है। ऐसा होने पर ही सामान्य-विशेष, नगर-निवासी या आम गा्रमीण अपने आपको चुस्त-चालाक और धोखेबाज-व्यक्तियों से बचा सकता है। इन्हीं बुनियादी तथ्यों के आलोक में आज सरकारी-गैर सरकारी अनेक स्तरों पर साक्षरता का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लोक-कल्याण राज्य या लोकतंत्र में यदि पूर्ण शिक्षित नहीं, तो साक्षर होना सभी के लिए आवश्यक तो है ही, सबका अधिकार भी है।
‘साक्षरता’ शब्द का सामान्य प्रचलित अर्थ क्या है, यह जानकर भी इसकी आवश्यकता पर विचार किया जा सकता है। ‘साक्षरता’ का सामान्य अर्थ है ‘अक्षर ज्ञान’ अर्थात विशेष शिक्षा-प्राप्त न होने पर भी कम-से-कम इतना ज्ञान तो हर व्यक्ति को रहना ही चाहिए कि वह किसी एक या अधिक भाषाओं के अक्षरों का ज्ञान अच्छी तरह रखता हो। उन अक्षरों को जोडक़र कुछ पढ़, अपना नाम आदि पढ़-लिख सकता हो। ‘साक्षरता’ शब्द का अर्थ मात्र इतना ही है और इसी भावना से उसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। निरक्षर व्यक्ति अनकेश भायवह दुर्घटनाओं का शिकार हो जाया करता है। होता ऐसे है कि निरक्षर व्यक्ति किसी महाजन से लेता तो मात्र पांच रुपए है, पर अंगूठा पांच सौ पर लगा लिया जाता है। जब इतनी रकम चुाना संभव नहीं हो पाता तब पता चलता है कि वास्तविकता क्या है? अक्षर ज्ञान न होने के कारण उसके साथ कितना बड़ा धोखा हुआ है कि मूल से सौ गुना चुका देने पर भी अभी तक वह ब्याज भी नहीं दे पाया।
भारत को गांव का देश कहा जाता है।हमारे देश में अधिकतर लोग गांव में रहते हैं। इनमें किसान और मजदूरों की संख्या बहुत अधिक है।निरक्षर लोगों में सबसे अधिक संख्या इन्हीं की है।और सबसे ज्यादा शोषण का शिकार भी निरक्षर व्यक्ति ही होता है।
चालक व्यापारी , चतुर व कुटिल नेता व सरकारी अधिकारी सभी इनका लाभ उठाते हैं।यदि देश के सभी नागरिक पढ़ लिख कर साक्षर हो जाय तो , वो इन बुरे लोगों के बनाये जाल में फंसने से बच जाएंगे।
साक्षर लोग ही केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लिए गए हर फैसले को अच्छे से समझ पाएंगे। और सरकार द्वारा उनके लिए चलाई गई योजनाओं का लाभ भी ले सकेंगे।
सरकार द्वारा किये गए हर अच्छे काम में सरकार का सहयोग करेगें। और साथ ही सरकार की गलत नीतियों का विरोध भी कर सकेंगे।
लोकतंत्र में चुनाव बहुत अहम होते हैं। और एक अच्छा प्रत्याशी चुनना भी कठिन कार्य है। लेकिन एक साक्षर व्यक्ति अपने वोट की कीमत समझते हुए चुनाव के वक्त सही प्रत्याशी को ही चुनेगा। ताकि वह प्रत्याशी उसके और उसके समाज की तरक्की में सहायक हो सके।सरकार द्वारा चलाई गई हर योजना का लाभ उन तक पहुंचा सके।
शिक्षित व्यक्ति अगर खेती भी करेगा तो वह खेती को भी वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर करेगा।आधुनिक कृषि उपकरणों का प्रयोग कर अधिक अनाज की पैदावार कर सकेगा।और साथ ही साथ अपने गांव के विकास में भी अपना सक्रिय योगदान दे सकेगा।
एक शिक्षित महिला अपने बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों को भी शिक्षित कर सकती हैं।साथ ही साथ रोजगार या नौकरी कर अपने परिवार को आर्थिक लाभ भी पहुंचा सकती हैं। जिससे परिवार के साथ समाज का भी भला होगा।