Math, asked by Anonymous, 1 year ago

Write a essay on the life of Writer Prem chand in hindi ​

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Answered by 1keshav123
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\fcolorbox{pink}{aqua}{PREMCHAND JI}

❤#⃣बचपन से ही लिखने का शौक रखने वाले प्रेमचन्द के जीवन में अनेको प्रकार के कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी और अनेक प्रकार के कालजयी रचना की जो की आधुनिक हिंदी की सर्वश्रेष्ट रचना साबित हुई, जीवन के आखिरी क्षणों में भी इन्होने अपना लेखन कार्य जारी रखा लेकिन बीमारी की वजह से 8 अक्टूबर 1936 को इनकी मृत्यु हो गयी जिसके कारण इनका आखिरी उपन्यास मंगलसुत्र तो पूरा नही हो पाया जिसे बाद में इनके पुत्र अमृतराय ने इस उपन्यास को पूरा किया इस तरह पूरी जिन्दगी हिंदी और उर्दू लेखन को समर्पित करने वाले प्रेमचन्द सबके दिलो में एक गहरी छाप छोड़ गये जो की आज भी इनके द्वारा लिखे गये कहानिया का जनमानस कायल है!बचपन से ही वकील बनने की चाहत रखने वाले प्रेमचन्द कभी भी अपनी गरीबी से अपनी साहित्यिक रूचि को पीछे नही छोड़ा बल्कि जैसे जैसे जीवन की उम्र के पड़ाव को पार करते जा रहे है उनकी लेखनी और साहित्य के प्रति समर्पण भी बढ़ता जा रहा था अंग्रेजो के अत्याचार से उस समय पूरा देश दुखी था और गांधीजी के आह्वान पर उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी और 1930 में बनारस शहर से अपनी मासिक पत्रिका हंस की शुरुआत किया!


1keshav123: mention not bro ❤
Answered by Anonymous
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HEYA MATE...............

मुंशी प्रेमचंद हिंदी गद्य के महान कहानी कार के रूप में विख्यात हैं | इनका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस से चार मील दूर ‘लमही’ नामक गांव में हुआ था | इनके बचपन का नाम ‘धनपतराय’ था | इनके पिता ‘अजायब राय’ जो डाकखाने में ₹ 20/- मासिक वेतन पर कार्य करते थे | इनकी माता का नाम ‘आनंदी देवी’ था | जब प्रेमचंद आठ (8) वर्ष के थे तो उनकी माता का देहांत हो गया और बाद में इनके पिता जी ने दूसरा विवाह कर लिया | घर की आर्थिक स्थिति सामान्य होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शिक्षा एक मदरसे में मौलवी साहब के द्वारा प्रारम्भ की गयी | वे मदरसे में उर्दू और फारसी पढ़ने जाते थे | बाद में इनका नाम हाईस्कूल में लिखवाया गया | इनके पिताजी का तबादला अलग-अलग स्थानों में होते रहने के कारण इन्हें इकट्ठा बंधकर पढ़ाई करने का अवसर नहीं प्राप्त | हुआ कुछ समय पश्चात (जब वह कक्षा नवम में पढ़ते थे) 15 वर्ष की अवस्था में उनके पिता ने उनका विवाह करवा दिया | इनकी पत्नी उम्र में इनसे बड़ी व बदसूरत थी, विवाह के एक साल पश्चात ही इनके पिता का देहान्त हो गया | पिता का देहान्त होने के बाद इनके जीवन में बहुत बुरा प्रभाव पड़ा, घर का सारा बोझ इन्हें संभालना पड़ा | इन्हें स्वयं ही पांच लोगों का खर्च उठाना पड़ा |

इन्होने अपने जीवन की इन्हीं प्रतिकूल परिस्थितियों में मैट्रिक की परीक्षा पास की, इन सारी परेशानियों में भी वे अपने साहित्य प्रेम को नहीं रोक सके और उपन्यास लिखना प्रारंभ कर दिया | इन्होने एक स्कूल में 18 रुपए मासिक वेतन पर अध्यापक की नौकरी कर ली |

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