Write a essay on the topic dowry in Hindi
Answers
हमारे देश भारत में धीरे धीरे दहेज प्रथा बढ़ते ही चले जा रहा है। आज के इस आधुनिक युग में भी दहेज प्रथा देश में एक अभिशाप के रूप में फैल चुका है। आज भी इस 21वीं सदी में बेटी के जन्म लेते ही ज्यादातर माता-पिता के सिर पर चिंता सवार हो जाता है।
चिंता इस बात की नहीं होती है की लड़की की पढ़ाई कैसे करवाएंगे? चिंता तो इस बात की होती है की विवाह कैसे करवाएंगे, विवाह के लिए दहेज कैसे इकट्ठा करेंगे?
हालाकि आज कन्या भ्रूण हत्या मैं कमी आई है परंतु आज भी ज्यादातर घरों में बेटी पैदा होती है तो उनके लिए वह दुख का दिन होता है क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण है दहेज प्रथा। आज भी हमारे हिंदू समाज के माथे पर यह एक कलंक के जैसे चिपका हुआ है।
आज भारत विकासशील देशों में गिना जाता है। परंतु कुछ छोटी सोच और समाज के पुराने रिवाज जैसे बाहर शौच करना, कूड़ा इधर-उधर फेंकना, बेटी को शिक्षा ना दिलाना और दहेज प्रथा हमारे देश भारत को विकसित होने से रोक रहे हैं।
इसे भी पढ़ें - चुनाव आयोग का महत्व Importance of Election Commission in Hindi
दहेज प्रथा की शुरुवात कब हुई? When Dowry System in India Started?
दहेज प्रथा की शुरुआत कब हुई यह बता पाना सटीक रूप से तो बहुत मुश्किल है परंतु यह बता सकते हैं कि यह प्राचीन काल से चला आ रहा है। हिंदू जाति के महान पौराणिक कथाओं या ग्रंथों जैसे रामायण तथा महाभारत में कन्या की बिदाई के समय पर माता पिता द्वारा दहेज के रूप में धन-संपत्ति देने का उदाहरण मिलता है। परंतु उस समय भी दहेज को लोग स्वार्थ भावना के रूप में नहीं लिया करते थे और लड़के वालों की ओर से कोई दहेज की मांग नहीं हुआ करती थी।
विवाह को एक पवित्र एवं धार्मिक बंधन माना जाता था जिसमें दो परिवारों का मिलन होता था। उस समय दहेज को लड़की के माता-पिता लड़की के लिए सामान के रूप में दे दिया करते थे, जिसे बिना कोई लोभ लड़के के घर वाले रख लिया करते थे। परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया और हिंदू समाज में सती-प्रथा, जाती-पाती, छुआ-छात जैसी समाज की बुराइयां बढ़ने लगी वैसे ही दहेज प्रथा ने भी एक व्यापार का रुप ले लिया।
शुरूआती समय मे तो जेवर, कपड़े, फर्नीचर, फ्रिज, गाड़ी और टेलीविजन तक ही बात है परंतु बाद में लोग मोटी रकम भी लड़की वालों से लेने लगे। गलती से कहीं अगर लड़का यदि कोई डॉक्टर, इंजीनियर, या कोई बड़ी सरकारी नौकरी वाला हो तो फिर सौदे की बात जमीन-जायदाद या मोटरकार तक भी पहुंच जाती है।
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम Disadvantages of Dowry System in Hindi
आज 21 वीं सदी में दहेज प्रथा एक बहुत ही क्रूर रूप ले चुका है। एसा भी होता है, अगर विवाह के समय दहेज में कमी हुई तो कुछ लोग तो शादी किए बिना ही बारात वापस ले जाते हैं। अगर गलती से शादी हो भी जाती है तो लड़की का जीवन नरक सामान बीतता है या फिर लड़कियों को कुछ गलत बहानों से तलाक दे दिया जाता है।
इसे भी पढ़ें - चौसा का युद्ध Battle of Chausa in Hindi
बात तो यहां तक भी बिगड़ चुकी है की कुछ लड़कियों से तलाक ना मिलने पर ससुराल वाले उन्हें जलाकर मार चुके हैं। आज दहेज प्रथा कैंसर की तरह समाज को नष्ट करते चले जा रहा हैं।
PROMOTED CONTENTMgid
Invest In Plans Better Than Mutual Funds
Coverfox
Health Plans For Your Family Starting At Just ₹350* p.m.
Earn 145,000 Rupees Every 60 Minutes From Your Computer
सरकार भी दहेज प्रथा को रोकने के लिए कई प्रकार के नियम बना रही है परंतु दहेज प्रथा कुछ इस तरीके से पूरे देश में फैल चुका है कि अब इसे रोकना कोई आसान काम नहीं है। साथ ही कन्या भूर्ण हत्या को रोकने के लिए सरकार ने लड़कियों के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान या सुकन्या समृद्धि योजना जैसी योजनाएं भी शुरु की है। आज लड़कियां लड़कों के साथ कंधा मिलाकर देश के हर एक क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। पता नहीं फिर भी लोगों के समझ में क्यों नहीं आ रहा है कि लड़का-लड़की एक समान।
आज के इस आधुनिक युग में भी हमें दहेज प्रथा के खिलाफ कदम उठाने होंगे और हमें मिलकर प्रण लेना होगा कि ना ही हम दहेज लेंगे और ना किसी को लेने देंगे। अंतरजातीय विवाह ने भी दहेज प्रथा को कुछ हद तक पीछे करने में मदद की है। किसी भी अन्य जाति के योग्य लड़के को जो दहेज़ के खिलाफ हो उसे कन्या देने में थोड़ा भी संकोच नहीं करना चाहिय।
दहेज प्रथा के कारण ही नारी जाती को कई प्रकार के अत्याचार को सहना पड़ा है। आज हमें हर घर तक इस संदेश को पहुंचाना ही होगा कि दहेज लेना पाप है और देना सही नहीं है। आज हमें मिलजुल कर कसम खाना होगा की हमजाति प्रथा को उखाड़ फेकेंगे और भारत को एक उन्नत शांतिपूर्ण देश बनाएंगे।