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it is the lion and the rat story in which the rat freed the lion
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एक शेर अपनी गुफा में आराम से सो रहा था. तभी कहीं से एक नटखट चूहा वहाँ आ गया. वह शेर के ऊपर चढ़कर उछल-कूद मचाने लगा. कभी वह शेर के बालों में घुस जाता, तो कभी उसके कानों में झूलने लगता. कभी वह उसके शरीर पर सरपट दौड़ लगाता, तो कभी कूद-कूदकर खेलने लगता.
इस धमा-चौकड़ी से शेर की नींद टूट गई. जब उसने अपनी आँखें खोली, तो एक चूहे को अपने ऊपर खेलते हुए पाया. शेर गुस्से में आग-बबूला हो गया. उसने चूहे को अपने पंजों में जकड़ लिया. शेर की गिरफ़्त में आने पर चूहे भयभीत हो गया. वह डर के मारे थर-थर कांपने लगा
अपनी मौत सामने देख वह शेर के सामने गिड़गिड़ाया, “वनराज! मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई. अपनी मस्ती में मुझे होश ही नहीं रहा कि आपकी नींद में खलल पड़ रही है. मुझ पर उपकार कीजिये और मेरी जान बख्स दीजिये. मैं वचन देता हूँ कि आइंदा ऐसी भूल कभी नहीं करूंगा और आपका यह उपकार कभी नहीं भूलूंगा. अवसर आने पर मैं आपके इस उपकार का मोल अवश्य चुकाऊँगा.”
चूहे की बात सुनकर शेर हंसने लगा. वह बोला, “तुम अदने से चूहे भला मेरे लिया क्या कर पाओगे?”
“जो भी हो सका, मैं वह करूंगा वनराज.” चूहा बोला.
शेर हँसते हुए बोला, “तुम नन्हे से जीव मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते. लेकिन मैं तुम्हें प्राणदान देता हूँ. अभी मुझे भूख भी नहीं लगी है और तुम्हारे जैसे छोटे से जीव से मेरा पेट भी नहीं भरेगा. जाओ. भागो यहाँ से और कभी मेरे आस-पास मत फटकना.”
शेर की बात सुनकर चूहे की जान में जान आई. वह शेर का धन्यवाद कर वहाँ से चला गया.
समय बीतता गया. एक दिन शेर जंगल में हमेशा की तरह शिकार की तलाश में निकला. घूमते-घूमते वह शिकारी के बिछाए जाल में फंस गया. उसने जाल से निकलने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. अंत में वह सहायता के लिए जोर-जोर से दहाड़ने लगा.
उसकी दहाड़ पास से गुजर रहे एक चूहे के कानों में पड़ी. यह वही चूहा था, जिसे शेर ने प्राणदान दिया था. वहाँ तुरंत शेर के पास पहुँचा और अपने पैने दांतों से जाल काटकर शेर को आज़ाद कर दिया.
जब शेर ने चूहे की सहायता के लिए उसक धन्यवाद किया, तो चूहा बोला, “वनराज! याद करें, आपने एक दिन मुझे प्राणदान दिया था. उस दिन मैंने आपको वचन दिया था कि अवसर आने पर मैं आपके उपकार का मोल अवश्य चुकाऊंगा. आज मैंने वह मोल चुका दिया है.”
शेर को उस दिन की अपनी सोच पर पछतावा हुआ, जब उसने चूहे को अदना सा जीव समझा था और उसकी हँसी उड़ाई थी. उस अदने से जीव के अहसान से ही आज वह जीवित बच पाया था. उसके निश्चय किया कि वह कभी छोटे-बड़े का भेद नहीं करेगा और सभी जीवों को समान दृष्टि से देखेगा.
सीख (Moral Of The Story) :
१. किसी भी प्राणी की काबिलियत उसके बाहरी स्वरुप से नहीं आंकनी चाहिए और छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं करना चाहिए.
२. किया गया उपकार कभी भी व्यर्थ नहीं जाता, उसका मोल अवश्य किसी न किसी रूप में प्राप्त होता है.