Write a interview between student and farmer in hindi
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असाम
जब भी किसानों की बात होती है. हमें गरीबी, बदहाली ही स्क्रीन पर दिखाई जाती है. पर एक किसान हमें ऐसे भी मिले जो सालों से किसान विरोधी सरकारों को झेलने के बावजूद मैं घास हूं तुम्हारे हर किये-धरे पर उग आऊंगा वाला जज़्बा लिये हुये थे. तंगहाली वहां भी थी, जूते उनके भी फटे हुए थे पर साथ ही एक उत्साह भी था जो हम जैसे नौजवानों को भी मात किये देता था.
उनके सफेद कुर्ते की अभिजात्य सादगी ने बहुत पहले ही दम तोड़ दिया था. उनकी बेतरतीबी उन्हें दुनिया की रोजाना की परेशानियों से अलग खड़ा करती थी. वे पूरे होशो हवास में सजग सामाजिक कार्यकर्त्ता की चारित्रिक उज्ज्वलता पर विश्वास कर, उससे अपने दरोगा बेटे के बारे में पड़ताल कर रहे थे, ‘मेरा बेटा घूस लेता है या नहीं?’ किसी सामाजिक कार्यकर्त्ता से अपने बेटे के बारे में पूछा गया यह सवाल मेरी नज़रों में एक पिता-एक कृषक को देवता बनाये देता था. इस प्रश्न से इन ‘भारत भाग्य विधाता’ ने मेरे भीतर कौतुहल पैदा कर दिया.
बात करने पर पता चला कि इनका नाम घनश्याम शुक्ल है. जो किसान संसद में भाग लेने बिहार के सिवान से यहां दिल्ली आये हैं. शिक्षक के रूप में इन्होनें अपनी सेवायें भी दी हैं. पर मजेदार ये कि रिटायरमेंट के वक्त इन्हें लाखों की जो रकम मिली, जिससे ये जिंदगी भर बैठकर खा सकते थे, इन्होंने वह पूरी कमाई अपनी ज़िंदगी को सजगता का एहसास कराने में खर्च दी.
इन पैसों से घनश्याम जी ने अपने क्षेत्र में एक डिग्री कॉलेज खोलने में मदद की,अपने गाँव में एक पुस्तकांलय खोला और अब एक संगीत महाविद्यालय की स्थापना के प्रयास में जुटे हुये हैं. यह इनके जीवन का वह मूर्त परिचय है जो इन्हें दुनिया के सामान्य लोगों में रहते हुए उनसे अलग खड़ा करता है.
I hope this answer help you
Explanation:
student: uncle how are u
farmer:I am not fine
student:why
farmer: because my crops are not prepare healthy because of lack of rain and sunlight
student:I know but i dont help u to give u fertilizer for your crops because of I don't have money