Write a kahani on "jaisi karni waisi bharni" in 200 words
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एक जंगल में ऊंट और सियार रहते थे। उस जंगल के पास ही खरबूजों का खेत था लेकिन खेत और जंगल के बींच में एक नदी पड़ती थी। एक दिन दोनों ने सोचा कि आज नदी पार खेत में खरबूज खाने चलते हैं। दोनों ने एक दुसरे से सलाह मिला ली और खरबूज के खेत की ओर चल पड़े। जैसे ही नदी के पास पहुंचे सियार बोला ऊंट भाई तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो तो मैं भी नदी पार कर लूँगा। ऊंट ने सियार को अपनी पीठ पर बिठा लिया और थोड़ी ही देर में खेत में पहुँच गए।
जैसे ही वो खेत में पहुंचे तो उन्हें बड़े ही मीठे-मीठे खरबूज खाने को मिले। दोनों खरबूज खाने में जुट गए लेकिन थोड़ी ही देर बाद सियार का पेट भर गया और वह अजीबोगरीब आवाज़े निकालने लगा। यह देख ऊंट ने उसे ऐसा करने के लिए मना किया लेकिन सियार ने उसकी एक न सूनी और बोला ऊंट भाई खाने के बाद मैं ऐसा जरुर करता हूँ। मुझे तो हुकहुकी आ रही हैं। ऊंट ने कहा अगर तुम ऐसे ही करते रहोगे तो खेत का मालिक आ जायेगा और हमारी पिटाई केर देगा लेकिन सियार फिर भी चुप नही हुआ और ऐसे ही करता रहा।
सियार की आवाज़ सुन खेत का मालिक आ गया। खेत के मालिक को आता देख सियार तो झाड़ियों के पीछे छुप गया और ऊंट बेचारा पिट गया। अब जब सियार और ऊंट की जंगल वापस जाने की बात आई तो सियार ऊंट के पास आया और ऊंट से बोला कि भाई तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो। ऊंट को भी अपना बदला लेने का मौका मिल गया। उसने सियार को अपनी पीठ पर बिठा लिया।