write a kavita on childhood memories and friend in hindi
Answers
ख्वाबों का मेला था,उमंगों का घेरा था,
बचपन थी ऐसी मानो सबकुछ मेरा था।
माँ-बाप का दुलार,दादा-दादी का पुचकार,
बचकर िनकल जाते थें करके गलतियाँ हज़ार।
मासूम़ सी सूरत,िवश्वास की मूरत,
जुब़ा से िनकले हर बात सच-सच।
पल में कट्टी,पल में दोस्ती,
लंबी दुश्मनी िकसी से न होती।
ज़रा-ज़रा सी बात पे रोना,िफर बात मनवाकर हँसना,
और दादी से रात में घण्टो परियों की कहानी सुनना।
खेल में मस्ती,पढ़ाई में झपकी,
स्कूल न जाने के,बहानें एक से एक थी।
वो एतवार का बेसब्री से इंतजार करना और देर तक सोना,
लाख़ उठाने पर भी चादर टान के सोना |
प्रिय मित्र - सत्यम
बचपन में था मेरा एक मित्र
उसकी याद बहुत आती है
नाम भी था उसका सत्यम
मेरी आंखें कविता सुनाती हैं
यह कविता दिल से लिखता हूं
शब्द अब दिल की आवाज़ कहें
मेरा प्रिया मित्र जहां भी हो अब
सदा मुस्कुराते और खुश रहे
ज़िन्दगी के इस सुहाने सफ़र में,
चलते चलते कुछ मुसाफ़िर मिल जाते हैं।
कुछ यूं ही बिछड़ जाते हैं,
कुछ दिल में सदा के लिए बस जाते हैं।।
जो लोग इस दिल में बस जाते ,
वही तो हमारे मित्र हैं कहलाते ।
मित्रों की बात ही इस कदर है जैसे,
आसमां में सितारे हैं सदा जगमगाते ।।
दोस्ती वो पवित्र बंधन है ,
सदा साथ निभाने की कसम है,
घाव लगे इस नाजुक दिल पर,
प्यार भरा सा एक मरहम है ।।
कभी भी ना दूर रहूं मैं,
अपने इन प्यारे दोस्तों से ।
सदा हस्ते खलते गुजरते रहे हम,
इस ज़िन्दगी में कांटो भरे रास्तों से ।।
ए मेरे दोस्त , सुन लो मेरी इक बात,
अगर कभी छोड़ कर जाने की कही बात,
तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा इस जीवन में,
चाहे सांसे ही क्यूं ना छोड़ दे मेरा साथ।।