Hindi, asked by annosayed2227, 1 year ago

write a letter in hindi
asamay bhayankar aawaaz wale patake fodna
shikayati patra

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Answered by empire01
7

सेवा में

सेवा मेंएड्रेस

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सर

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सरविवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सरविवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.यहां फिक्र इस बात को लेकर भी बढ़ जाती है कि पटाखों के इस्तेमाल में क्या बदलाव आए हैं, इस पर किसी ठोस अध्ययन के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है.

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सरविवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.यहां फिक्र इस बात को लेकर भी बढ़ जाती है कि पटाखों के इस्तेमाल में क्या बदलाव आए हैं, इस पर किसी ठोस अध्ययन के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है.विवेक कहते हैं, "हर साल बस लाइसेंस की संख्या को लेकर बात की जाती है लेकिन हमारे बाज़ारों में कितनी मात्रा में पटाखे आ रहे हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया जाता."

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सरविवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.यहां फिक्र इस बात को लेकर भी बढ़ जाती है कि पटाखों के इस्तेमाल में क्या बदलाव आए हैं, इस पर किसी ठोस अध्ययन के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है.विवेक कहते हैं, "हर साल बस लाइसेंस की संख्या को लेकर बात की जाती है लेकिन हमारे बाज़ारों में कितनी मात्रा में पटाखे आ रहे हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया जाता."(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सरविवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.यहां फिक्र इस बात को लेकर भी बढ़ जाती है कि पटाखों के इस्तेमाल में क्या बदलाव आए हैं, इस पर किसी ठोस अध्ययन के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है.विवेक कहते हैं, "हर साल बस लाइसेंस की संख्या को लेकर बात की जाती है लेकिन हमारे बाज़ारों में कितनी मात्रा में पटाखे आ रहे हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया जाता."(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते आपका अग्यकरी

सेवा मेंएड्रेसआदरणीया सरविवेक का कहना है कि अगर धुएँ को लेकर मानक तय भी कर दिए जाएं तो पटाखों के ज़्यादा इस्तेमाल की वजह से हालात वही रहेंगे. मसलन कोई बहुत ज़्यादा पटाखे छोड़ता है तो कुछ नहीं बदलेगा.यहां फिक्र इस बात को लेकर भी बढ़ जाती है कि पटाखों के इस्तेमाल में क्या बदलाव आए हैं, इस पर किसी ठोस अध्ययन के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी नहीं है.विवेक कहते हैं, "हर साल बस लाइसेंस की संख्या को लेकर बात की जाती है लेकिन हमारे बाज़ारों में कितनी मात्रा में पटाखे आ रहे हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया जाता."(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते आपका अग्यकरीनाम

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