write a letter in hindi to your friend telling him about your village pollution
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पंजाब
दिनांक :
प्रिय मित्र तुषार ,
सप्रेम आलिंगन
समाचार अच्छे हैं I मैं यहाँ परिवार के साथ प्रसन्न हूँ और पढाई भी कर रहा हु Iअरे ! यार तुम तो यहाँ से चले गए मुझे तो हमेशा खालीपन लगता है I तुम तो गाँव छोड़कर शहर की ओर चले गए इश्वर करे तुम्हारी पढाई बहुत अच्छी तरह हो I और वहाँ तुम्हें मन लग जाए इसकी भी शुभ कामना है I
लेकिन तुम्हें मेरी कितनी याद आएगी ये मुझे नहीं पता क्यूंकि घने आम के बागीचे की कोयल कुहू कुहू करके तुझे पुकारेगी जो हमारे घर के सामने है I सुबह हर घर के धुंए एक खुशबु लेकर तुझे बुलायेंगे कैसे रह पाओगे तुषार Iजब बछडो को गैयों के साथ देखता हूँ I याद आती है वो बातें जो हमलोग किया करते थे I
इन्हीं बछड़ो की तरह हमलोग भी हैं न ऐसे ही हमलोगों की माँ भी दूध पिलाती होगी I सुबह सुबह गेंदों या गुलाबों की खुशबु जब मोहित कर देती थी तो हमलोग बहुत दूर तक निकलते थे और पूजा के लिए तरह तरह बहुत सारे फूल लेकर आते थे Iअगल बगल की चाची से कभी बनी हुई सब्जी का आ जाना और हर दिन कुछ न कुछ साथ खाना ये शहरों में कहाँ मिलेगा I
वह दूध और वही दही तुम्हें कितना मधुर स्वाद यहाँ से भी याद दिलाता होगा Iगाँव के लहराते खेत गेहूं की बालियाँ या कभी धान की बालियाँ वो पीले पीले सरसों के खेत और बैगनी के फूल से लादे अलसी के खेत Iमंजरियों से लड़ी आम की डाली और कभी फलों से लड़ी लीची की डाली Iवो शुद्ध सब्ब्जियाँ और शुद्ध नदी का पानी I
मुझे तो छोड नहीं पाएगा या मैं नहीं छोड़ पाऊंगा I जाना ही था तो 10वीं के बाद जाते वैसे जब भी समय मिले हम एक साथ वैसे ही अमूल्य क्षणों को गुजारेंगे और अंत में :
हे मिटटी तुझे प्रणाम
धन्य धन्य है मेरा ग्राम "
शेष कुशल हैI
दिनांक :
प्रिय मित्र तुषार ,
सप्रेम आलिंगन
समाचार अच्छे हैं I मैं यहाँ परिवार के साथ प्रसन्न हूँ और पढाई भी कर रहा हु Iअरे ! यार तुम तो यहाँ से चले गए मुझे तो हमेशा खालीपन लगता है I तुम तो गाँव छोड़कर शहर की ओर चले गए इश्वर करे तुम्हारी पढाई बहुत अच्छी तरह हो I और वहाँ तुम्हें मन लग जाए इसकी भी शुभ कामना है I
लेकिन तुम्हें मेरी कितनी याद आएगी ये मुझे नहीं पता क्यूंकि घने आम के बागीचे की कोयल कुहू कुहू करके तुझे पुकारेगी जो हमारे घर के सामने है I सुबह हर घर के धुंए एक खुशबु लेकर तुझे बुलायेंगे कैसे रह पाओगे तुषार Iजब बछडो को गैयों के साथ देखता हूँ I याद आती है वो बातें जो हमलोग किया करते थे I
इन्हीं बछड़ो की तरह हमलोग भी हैं न ऐसे ही हमलोगों की माँ भी दूध पिलाती होगी I सुबह सुबह गेंदों या गुलाबों की खुशबु जब मोहित कर देती थी तो हमलोग बहुत दूर तक निकलते थे और पूजा के लिए तरह तरह बहुत सारे फूल लेकर आते थे Iअगल बगल की चाची से कभी बनी हुई सब्जी का आ जाना और हर दिन कुछ न कुछ साथ खाना ये शहरों में कहाँ मिलेगा I
वह दूध और वही दही तुम्हें कितना मधुर स्वाद यहाँ से भी याद दिलाता होगा Iगाँव के लहराते खेत गेहूं की बालियाँ या कभी धान की बालियाँ वो पीले पीले सरसों के खेत और बैगनी के फूल से लादे अलसी के खेत Iमंजरियों से लड़ी आम की डाली और कभी फलों से लड़ी लीची की डाली Iवो शुद्ध सब्ब्जियाँ और शुद्ध नदी का पानी I
मुझे तो छोड नहीं पाएगा या मैं नहीं छोड़ पाऊंगा I जाना ही था तो 10वीं के बाद जाते वैसे जब भी समय मिले हम एक साथ वैसे ही अमूल्य क्षणों को गुजारेंगे और अंत में :
हे मिटटी तुझे प्रणाम
धन्य धन्य है मेरा ग्राम "
शेष कुशल हैI
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