Hindi, asked by bhupendar8709, 11 months ago

write a letter on bhrashtachar in hindi

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Answered by pancholiyash
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अनैतिक तरीको का इस्तेमाल कर दूसरो से कुछ फायदा प्राप्त करना भ्रष्टाचार कहलाता है। देश और व्यक्ति के विकास में ये अवरोध का एक बड़ा कारक बनता जा रहा है। आप इस तरह के निबंधों से अपने बच्चों को घर और स्कूलों में भ्रष्टाचार के बारे में अवगत करा सकते है।

भ्रष्टाचार पर निबंध (करप्शन एस्से)

Find below some essays on Corruption in Hindi language for students in 100, 150, 200, 250, 300, 400 and 500 words.

भ्रष्टाचार पर निबंध 1 (100 शब्द)

भ्रष्टाचार एक जहर है जो देश, संप्रदाय, और समाज के गलत लोगों के दिमाग में फैला होता है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिये सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। इसका संबंध किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गैरजरुरी और गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा भी है।



भ्रष्टाचार पर निबंध 2 (150 शब्द)

भ्रष्टाचार से व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति, शक्ति और सत्ता का गलत इस्तेमाल अपनी आत्म संतुष्टि और निजी स्वार्थ की प्राप्ति के लिये करता है। इसमें सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर फायदा पाने की कोशिश होती है। भ्रष्टाचार की जड़े समाज में गहराई से व्याप्त हो चुकी है और लगातार फैल रही है। ये कैंसर जैसी बीमारी की तरह है जो बिना इलाज के खत्म नहीं होगी। इसका एक सामान्य रुप पैसा और उपहार लेकर काम करना दिखाई देता है। कुछ लोग अपने फायदे के लिये दूसरों के पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त होते है और साथ ही अपनी छोटी सी की पूर्ति के लिये किसी भी हद तक जा सकते है।

 

भ्रष्टाचार निबंध 3 (200 शब्द)

हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छे तरह वाकिफ है और ये अपने देश में नई बात नहीं है। इसने अपनी जड़ें गहराई से लोगों के दिमाग में बना ली है। ये एक धीमे जहर के रुप में प्राचीन काल से ही समाज में रहा है। ये मुगल साम्राज्य के समय से ही मौजूद रहा है और ये रोज अपनी नई ऊँचाई पर पहुँच रहा है साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों के दिमाग पर हावी हो रहा है। समाज में सामान्य होता भ्रष्टाचार एक ऐसा लालच है जो इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और लोगों के दिलों से इंसानियत और स्वाभाविकता को खत्म कर रहा है।

भ्रष्टाचार कई प्रकार का होता है जिससे अब कोई भी क्षेत्र छुटा नहीं है चाहे वो शिक्षा, खेल, या राजनीति कुछ भी हो। इसकी वजह से लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते। चोरी, बेईमानी, सार्वजनिक संपत्तियों की बरबादी, शोषण, घोटाला, और अनैतिक आचरण आदि सभी भ्रष्टाचार की ही ईकाई है। इसकी जड़े विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों में व्याप्त है। समाज में समानता के लिये अपने देश से भ्रष्टाचार को पूरी तरह से मिटाने की जरुरत है। हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान होना चाहिये और किसी भी प्रकार के लालच में नहीं पड़ना चाहिये।


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