Hindi, asked by surajparihariya12, 6 months ago

write a letter on correct rajneti in hindi

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Answered by shrutinemane1
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आज जिस तरह से हमारे नेता ईमानदार अफसरों और सैनिकों के बारे में टिप्पणी कर रहे हैं, वह न केवल निंदनीय है, बल्कि भर्त्सना के योग्य है। विडंबना है कि देश को ईमानदार कर्मचारियों, कर्तव्यनिष्ठ अफसरों व देशभक्त सैनिकों की आवश्यकता है, वहीं हमारे ये सफेदपोश नेता भ्रष्टाचार में गले तक डूबे हुए हैं। अगर यही हाल रहा, तो अंदरुनी समस्याओं के अलावा चीन और पाकिस्तान अपने षडय़ंत्र में सफल होकर हमारे देश में अशांति फैला सकते हैं, जिन सबका परिणाम यह होगा कि देश का विकास थम जाएगा। आज हमारा रुपया डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हो चुका है। जबकि हमारे नेता गरीबी के सच्चे-झूठे आंकड़े पेश कर रहे हैं और अल्पसंख्यकों के नाम पर राजनीति हो रही है। एक गठबंधन सत्ता बचाने में जुटा है, तो दूसरा सत्ता हासिल करने में। लेकिन किसी के पास जनता और देश के हित में कोई नीति नहीं है।

अकलंक जैन, बदरपुर, नई दिल्ली

तुष्टीकरण का राज

भारत सरकार तुष्टीकरण की नीति अपनाकर लोगों को अकर्मण्य बना रही है। अक्सर अर्थ, धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर किसी खास वर्ग को पिछड़ा बताकर उन्हें मुफ्त राशन, पानी, बिजली, मकान आदि देना, यह नहीं तो और क्या है? जब लोगों की निर्भरता सरकार पर बढ़ने लग जाती है, तो उनका वोट बैंक की तरह इस्तेमाल होता है। इसके बाद सरकार का एक गुट बाकी जनता को यह कहता है कि सब हाशिये पर रह रहे लोगों के चलते हो रहा है। उसके बाद जन-कल्याणकारी योजनाओं में कटौती की जाती है। यह सब समाज में गैर-बराबरी और वैमनष्य को बढ़ाने जैसा ही है।

ब्रजमोहन, पश्चिम विहार, नई दिल्ली

एक सार्थक पहल

चार अगस्त को ‘तेजाब से जली लड़कियों को देंगे अपना खून’ रिपोर्ट पढ़कर दिल को बड़ी राहत महसूस हुई। देखा जाए, तो आज ऐसे युवाओं की हमारे समाज को जरूरत है, जो पीड़िताओं के दुख-दर्द को अपना समझे। गुड़गांव में इस जीवन रक्षक संगठन की शुरुआत करने वाले सभी सदस्यों ने तेजाब पीड़िताओं के इलाज के लिए अपना खून दान में देने का निश्चय कर अपने राज्य हरियाणा के साथ-साथ इंसानियत का सिर भी ऊंचा किया है। देश के अन्य राज्यों के युवा भी इसी तरह की कोशिश करें, तो काफी अच्छा रहेगा। इसके अलावा, तेजाब हमले के खिलाफ जागरूकता की जरूरत है। सरकार के स्तर पर यह प्रयास होना चाहिए। साथ ही, स्वयं सेवी संगठनों भी आपस में मिलकर काम करने होंगे।

मोती लाल जैन, 99, सूर्या निकेतन, दिल्ली

एक सीट से दावेदारी हो

अक्सर यह देखा गया है कि कुछ नेता कई सीटों से चुनाव लड़ते हैं। ऐसे में, अगर वह एक से अधिक सीटों पर जीतते हैं, तो छह महीने के अंदर उन्हें एक छोड़कर बाकी सीटें छोड़नी पड़ती है। इसके बाद खाली सीट के लिए फिर चुनाव होता है, जिसमें जनता का पैसा खर्च होता है। इसलिए यह भारतीय चुनाव प्रणाली की खामी की तरह है और इस पर रोक लगनी चाहिए। अगर आज तक के चुनावी इतिहास को देखें, तो कई सौ करोड़ रुपये इस कारण खर्च हो गए हैं। अगर कोई व्यक्ति खुद को नेता मानता है, तो उसे जनता का भरोसा हासिल करने के लिए एक ही जगह से खड़ा होना चाहिए। मैं सरकार, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग से गुजारिश करता हूं कि वे एक सीट से दावेदारी का प्रावधान लागू करें।

राज, बोधगया, बिहार

Answered by nanulama7890
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