write a nibandh on jalvayu parivartan
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जलवायु परिवर्तन को मूल रूप से जलवायु के संरचना में हो रहे बदलाव, जो कई दशकों तथा सदियों सो लगातार होते आ रहे हैं, के रूप से जाना जाता है। धरती के वातावरण के स्वरूप को परिवर्तित करने वाले विभिन्न प्राकृतिक कारकों कों वातावरण पर दबाव ड़लने वाली परिस्थितिकी तंत्र के तौर पर भी जाना जाता है।
वातावरण पर दबाव डालने वाले ये विशेष बाह्य तंत्र या तो प्राकृतिक हो सकते हैं जैसे कि पृथ्वी की कक्षा में भिन्नता, सौर विकिरण में असमानता, ज्वालामुखी विस्फोट, प्लेट टेक्टोनिक्स, आदि एवं विभिन्न मानवीय गतिविधियां जैसे ग्रीन हाउस गैस, कार्बन उत्सर्जन, इत्यादि।
मानव द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियां, जैसे जंगलों की कटाई, जमीन का अत्यधिक इस्तेमाल भी इस विशेष बाह्य तंत्र में सम्मिलित हैं, जो वातावरण में बदलाव लाने के लिए विभिन्न परिस्थितियों के स्वरूपों का निर्माण प्राकृतिक तरीके से होता है, क्योंकि इसमें महासागरीय गतिविधियां-वातावरण परिवर्तनशीलता और पृथ्वी पर जीवन की मौजूदगी शामिल है।
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