Political Science, asked by hepticninja1974, 7 months ago

Write a note on the chola village assemblies.write in 2 lines

Answers

Answered by nidhisaurabh5
1

चोल शासन दक्षिण भारत में पल्लवों के अधीनस्थ सांमतों के रूप में कार्यरत थे। 850 ई. में विजयालय ने तंजौर पर कब्ज़ा कर लिया। इसी चोल राजवंश की स्थापना की थी। उसने परकेसरी की उपाधि धारण की। उसने पल्लव एवं पाण्ड्य शासकों के बीच संघर्ष का लाभ उठाकर अपनी स्थिति मजबूत की। विजयालय के उत्तराधिकारी एवं उसके पुत्र आदित्य प्रथम (887 - 900 ई.) ने पल्लव शासक अपराजित को (890 ई.) युद्ध में हराकर मार डाला। उसी ने पाण्ड्य (मदुरा) और गंग (कलिंग) शासकों को हराकर अपने साम्राज्य को और अधिक सुदृढ़ किया। इसके उत्तराधिकारी परांतक प्रथम (907 - 953 ई.) ने साम्राज्य विस्तार को और विस्तृत किया तथा 915 ई. में उसने श्रीलंका को सेना को वेल्लूर के युद्ध में पराजित किया। किन्तु इस समय राष्ट्रकूट शासन भी शक्तिशाली थे। राष्ट्रकूट शासन भी शक्तिशाली थे। राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय ने 949 ई. में तक्कोलम के युद्ध में चोल सेना को पराजित किया। 953 ई. में परांतक प्रथम की मृत्यु हो गई।

राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय की मृत्यु (965 ई.) के उपरांत राष्ट्रकूट साम्राज्य का विघटन होना शुरू हुआ। चोल शक्ति का पुनः जीर्णीद्धार 985 ई. में राजराज प्रथम (985 से 1014 ) के आधीन आरंभ हुआ। उसके अनेक विजयों के पश्चात एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया। 994 ई. से 1002 के मध्य उसने सैनिक अभियान किये तथा उसने चेर, पाण्ड्य, चालुक्य (पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों को) तथा कलिंग के गंग शासकों को पराजित किया। 1004 ई. से 1012 ई. के मध्य नौसैनिक अभियान के क्रम में उसने अनुराधापुर (श्रीलंका) के उत्तरी क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर लिया और उसका नाम मुम्मडी चोलमंडलम रखा। उसने मालदीप पर भी विजय प्राप्त की। इन सभी विजयों की जानकारी तंजौर एवं तिरुवलंगाडु अभिलेखों से प्राप्त हुई है।

राजराज प्रथम का उत्तराधिकारी एवं उसका पुत्र राजेन्द्र प्रथम (1014 ई. से 1044 ई.) था। राजराज प्रथम की विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाते हुए राजेन्द्र प्रथम ने पांड्य और चेर राजवंश का पूर्णत: उन्मूलन करके अपने साम्राज्य में मिला लिया। उसने 1017 ई. में अनुराधापुर के दक्षिणी क्षेत्र को जीतकर इस भाग को पूर्णतः अपने साम्राज्य में मिला लिया। इन सैनिक कार्यवाहियों का उद्देश्य अंशत: यह था कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ होने वाले व्यापार पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके। कोरोमंडल तट तथा मालाबार दक्षिण- पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार के मुख्य केन्द्र थे। 1022 - 23 के बीच उसने बंगाल पर सफल सैनिक अभियान किया और महिपाल को पराजित किया। इसी अवसर पर उसने 'गंगैकोंडचोलपुरम' की उपाधि धारण की तथा तंजोर के नजदीक गंगैकोंडचोलपुरम को राजधानी बनाया। राजेन्द्र प्रथम की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विजय 1025 ई. में श्री विजय की थी। उसने श्री विजय के शासन संग्राम विजयोत्तुंगवर्मन को पराजित कर अपनी संप्रभुता उस पर स्थापित की थी।

Similar questions